ताली – रौणी जहां से एक साथ दिखता है सूर्य अस्त व चन्द्रमा उदय का नज़ारा

जनमंच टुडे/ ऊखीमठ।

पर्यटन की अपार सम्भावनाओं को अपने आंचल में समेटे ताली – रौणी के बुग्यालों के भू भाग को प्रकृति ने अपने अनूठे वैभव का भरपूर दुलार दिया है। प्रकृति के अनमोल खजाने मे पर्दापण करते ही प्रकृति प्रेमी प्रकृति के अति निकट पहुंचने से अपने को धन्य महसूस करता है। हर तरफ हरी – भरी वादियां, मखमली चारागाह, बरसाती झरने, असंख्य जंगली जानवरों की निर्भीक उछलकूद व भंवरों का मधुर गुंजन हर, किसी को भा जाता है। ताली – रौणी का भू भाग तीन ओर विभिन्न प्रजाति के अपार वन सम्पदा व सुरम्य मखमली बुग्यालों से घिरा है।

पूर्व में यहाँ  प्रकृति प्रेमी रात्रि प्रवास कर प्रकृति के अनमोल खजाने से रुबरु होते थे, मगर न्यायालय के आदेश पर केदार वन्य जीव प्रभाग द्वारा इस क्षेत्र में रात्रि के समय कैम्पिंग करने पर रोक लगा दिया। इससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय  प्रभावित होने के साथ ही स्थानीय लोगों के सामने रोजी – रोटी का संकट छा गया। यदि वन्यजीव निर्देशालय के आदेश पर केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा ताली – रौणी भूभाग को पर्यटन व्यवसाय के रूप में विकसित करने की कवायद की जाती है तो यह भूभाग विश्व मानचित्र पर अंकित होने के साथ सीमान्त गांवों में होम स्टे योजना को भी बढा़वा मिल सकता है।  बता दे कि मदमहेश्वर घाटी की सीमान्त ग्राम पंचायत गडगू से लगभग आठ किमी दूर ताली – रौणी के भूभाग में फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों को प्रकृति ने दुल्हन की तरह सजाया व संवारा है।

इस भूभाग से शाम के समय सूर्य अस्त व चन्द्रमा उदय को एक साथ दृष्टिगोचर किया जा सकता है। बरसात के समय इन ढलवा बुग्यालों में अनेक प्रजाति की बेस कीमती जडी़ – बूटियों की भरमार रहती है। उनकी सुगन्ध से मानव का अन्त करण शुद्ध हो जाता है। ताली – रौणी बुग्यालों से प्रकृति व पर्वतराज हिमालय को अति निकट से देखा जा सकता है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के संरक्षक राकेश नेगी ने बताया कि ताली – रौणी बुग्यालों में तीर्थाटन व पर्यटन की अपार सम्भावनाये हैं। जिन्हें बढा़वा देकर स्थानीय तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को विकसित किया जा सकता है । मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि ताली – रौणी बुग्यालों से प्रकृति को अति निकट से निहारने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिल सकता है, क्योंकि बरसात के समय इस भूभाग में बादलों की अठखेलियाँ अधिक होती है।

प्यारे फाउंडेशन गडगू प्रभारी सुदीप राणा ने बताया कि गडगू गाँव से ताली – रौणी पहुंचने के लिए पैदल मार्ग बहुत विकट है फिर प्रकृति प्रेमी अदम्य साहस व प्रकृति से रुबरु होने के कारण पहुंच जाते है! क्षेत्र पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह राणा बताते है कि ताली – रौणी बुग्यालों के इर्द – गिर्द पत्थरों की विशाल गुफाएं व भेड़ पालकों के अराध्य देव क्षेत्रपाल के मन्दिर विराजमान है। गडगू निवासी कैलाश नेगी, कमल सिंह राणा, विकास नेगी बताते है कि ताली – रौणी के भूभाग को प्रकृति ने अपने अनूठे वैभवो का भरपूर दुलार दिया है इसलिए इस क्षेत्र को यदि तीर्थाटन, पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ – साथ सीमान्त गांवों में होम स्टे योजना को भी बढा़वा मिल सकता है।

  • ऊखीमठ से वरिष्ठ पत्रकार, लक्ष्मण सिंह नेगी।

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