लोकडाउन से आबोहवा हुई स्वच्छ

अप्रैल में भी बह रहे हैं मार्च में सूखने वाले जलस्रोत
नैनीताल। यूं तो लोगों को स्वस्थ रखने पहाड़ की आबोहवा को बेहतर माना जाता रहा है लेकिन बीते कुछ सालों में प्रदूषण का असर पहाड़ों पर भी पड़ा है। कोरोना वायरस, कोविड-19, की वजह से हुए लॉकडाउन का सकारात्मक असर यह पड़ा है कि उत्तराखंड के पहाड़ों में पर्यावरण में भी सुधार देखा जा रहा है। पिछले सालों के मुकाबले इस बार वातावरण में सुधार हुआ है और इसका असर जल, जंगल, जंगली जीवन पर साफ देखा जा रहा है। खासतौर पर पानी तो बेहद साफ हो गया है और प्रकृति का दर्पण लग रहा है।
लॉकडाउन के बाद मौसम स्वच्छ और नजारा इतना साफ है कि हिमालय के दीदार आसान हो गए हैं। ऐसा लग रहा है कि इन बर्फीली पहाड़ियों को आप हाथ बढ़ाकर छू सकते हो। प्रदूषण की कमी का असर इस कदर है कि जंगली जानवरों के सड़कों पर आने की घटना आम होने लगी हैं तो सरोवर नगरी की नैनीझील का जल न सिर्फ 2 फीट बढ़ा है बल्कि स्वच्छ भी हो गया है। 22 मार्च लॉकडाउन के बाद लोग घरों में कैद हो गए तो सड़कों से वाहन गायब हो गए। ईंधन से होने वाले प्रदूषण काफी कम हो गया तो पर्यावरण में घुल रहे जहर में कमी आई। पर्यावरणविद अजय रावत कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद से ही घरों के आसपास कई किस्म के पक्षी विचरण कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *