लाकडाउन से खेतों में बर्बाद हो रही स्ट्रॉबेरी

नैनीताल। लॉकडाउन के चलते सभी औद्योगिक इकाई, पर्यटन समेत अन्य कारोबार प्रभावित हो गए हैं। इसका असर नैनीताल के ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखने को मिल रहा है। यहां ज्योलीकोट, भीमताल, रामगढ़, मुक्तेश्वर समेत आसपास के क्षेत्रों में खड़ी फसल खेतों में ही खराब होने की कगार पर है। ज्योलीकोट की स्ट्रॉबेरी भी इससे अछूती नहीं है। स्ट्रॉबेरी खेतों में ही बर्बाद हो रही है। काश्तकार मायूस नजर आ रहे हैं। नैनीताल का ज्योली गांव स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जाना जाता है। यहां उगने वाली स्ट्रॉबेरी नैनीताल, मुक्तेश्वर, अल्मोड़ा, रामनगर समेत आसपास के सभी पर्यटक स्थलों तक भेजी जाती है। पर्यटन सीजन में पर्यटक यहां की स्ट्रॉबेरी के स्वाद का जमकर लुत्फ उठाते हैं।
ज्योली गांव में होने वाली स्ट्रॉबेरी बेहद स्वादिष्ट होती है। यही कारण है कि नैनीताल आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग गर्मियों के मौसम में स्ट्रॉबेरी खाना नहीं भूलते. लेकिन इन दिनों ये स्ट्रॉबेरी कोरोना वायरस के चलते खेतों में ही सड़ने की कगार पर जा पहुंची है। स्ट्रॉबेरी के काश्तकार बताते हैं कि उनके गांव में करीब 80ः लोग स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं। इससे उनकी आजीविका चलती है, लेकिन लॉकडाउन के चलते उन्हें काफी नुकसान हो रहा है। वो अपनी फसल को नहीं बेच पा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी सेहत के लिए बेहद लाभदायक मानी जाती है. इसे खाने से हार्ट और कैंसर जैसी घातक बीमारी नहीं होती हैं। जो लोग नियमित रूप से स्ट्रॉबेरी खाते हैं, उनकी हड्डियां मजबूत रहती हैं। गर्मियों के मौसम में स्ट्रॉबेरी खाने वाले लोगों को गर्मी का एहसास भी नहीं होता है।स्ट्रॉबेरी में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होता है। इसमें विटामिन की मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है, जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसे खाने से त्वचा का रंग भी साफ होता है, जबकि इसके सेवन से कील मुंहासों की दिक्कत भी दूर होती है।स्ट्रॉबेरी दांतों को साफ करने और मजबूत करने के लिए भी रामबाण मानी जाती है। इसके अलावा स्ट्रॉबेरी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड, फॉस्फोरस, पोटेशियम, डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। स्थानीय लोग इस स्ट्रॉबेरी से जूस, जैम, चटनी, आइसक्रीम भी बनाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *