लॉक डाउन ने छीनी केदारनाथ घाटी की रौनक

ऊखीमठ । भगवान केदार नाथ के कपाट खुलने के बाद हेलीकॉप्टर की  की गर्जनाओं व तीर्थ यात्रियों की आवाजाही से गुलज़ार रहने वाली केदार घाटी लॉकडाऊन के कारण विरान पडी़ हुई है। यहां का जनमानस के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा होने के साथ ही प्रकृति की मार झेलने को विवश हो गया है। लॉकडाऊन के कारण विरान पडी़ केदार घाटी में प्रतिदिन दोपहर बाद प्रकृति का विकराल रुप धारण करने से यहाँ के जनमानस की रातों की नींद व दिन चैन खो रखा है । दोपहर बाद आसमान में बादलों की भयानक  गर्जनाओं के चलते लोगों के मन में यही भय सत्ता रहा है कि कहीं प्रकृति का रौद्र रुप  फिर से न बरस पड़े । विगत वर्षों की बात करे तो भगवान केदार नाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से ऊखीमठ से हिमालय रवाना होते ही ऊखीमठ से लेकर केदार नाथ धाम तक हर वर्ग के लोगों  में भारी उत्साह व उमंग बना रहता था । भगवान केदारनाथ के कपाट खुलते ही हर यात्रा पडाव पर तीर्थ यात्रियों की आवाजाही  से रौनक बनी रहती थी । तीर्थ पुरोहित, होटल, लॉज स्वामी घोड़े खच्चर संचालक से लेकर मजदूर वर्ग अपने रोजी रोटी कमाने में जुट जाता था । हेलीकॉप्टर की उड़ानों व वाहनों की आवाजाही होने से सम्पूर्ण केदार घाटी में रौनक रहती थी  मगर इस बार कोरोना के चलते लॉकडाऊन होने से केदारनाथ में तीर्थ यात्रियों की आवाजाही पर रोक लगने से सम्पूर्ण केदार घाटी में विरानी छायी हुई है। यहां का जनमानस लॉकडाऊन के कारण  व्यवसाय छीनने के साथ ही प्रकृति की दोहरी मार झेलने को भी विवश हो गया है। केदार घाटी में प्रतिदिन दोपहर का मिज़ाज बदलने से यहाँ के लोगों की रातों की नींद उड़ गयी है। अधिकंश इलाकों में ओलावृष्टि होने से काश्तकारों की 60 प्रतिशत फसले बर्वाद होने से काश्तकारों  परेशान हैं। बादलों की भयानक गर्जनाओं से लोगों का दिल बैठ रहा है।  यहाँ का हर व्यक्ति ख़ौफ़ के साए में है। हर एक को यही भय सता रहा है कि कहीं प्रकृति का रौद्र रुप फिर से कहर न बरसा दे । कनिष्ठ प्रमुख शैलेन्द्र कोटवाल ने बताया कि लॉकडाऊन के कारण यहाँ के जनमानस के सन्मुख दो जून रोटी का संकट बना हुआ है तथा प्रकृति की दोहरी मार पडने से यहाँ के काश्तकारों की मेहनत पर पानी फिर गया है ।

  • लक्ष्मण सिंह नेगी।
  • वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

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