कभी थे गुलजार, अब पसरा है सन्नाटा

ऊखीमठ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लाक डाउन होने से केदार घाटी में विकास का पहिया थमने के साथ ही क्षेत्र का तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाले पर्यटक स्थल और यात्रा पड़ाव ने खामोशी की चादर ओढ़ी हुई है। और पर्यटन  बन्द होने से इससे जुड़े हज़ारों लोगोंं को मुसीबतों से दो चार होना पड़ रहा है।

आने वाले दिनों में यदि लाक डाउन चार  बढ़ जाता है तो अधिकांश लोगों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो सकता है। लाक डाउन के कारण वाहन चालकों व स्वामियों, मजदूरी पर निर्भर रहने वालों, तीर्थाटन, पर्यटन पर निर्भर युवाओं व छोटे तबके के व्यापारियों  को सबसे अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, और इससे जुड़े लोग बेहद परेशान हैं।  वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण जारी तीसरे लाक डाउन की अवधि आगामी 17 मई को समाप्त हो रही है। चौथे लॉक डाउन की गाइडलाइन का हर एक व्यक्ति को इन्तजार है।  तीसरे लाक डाउन की अवधि में ही केदार घाटी में विकास का पहिया थम गया है।

तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही से गुलज़ार रहने वाले तीर्थ व पर्यटक स्थलों में सन्नाटा पसरा हुआ है। विगत 22 मार्च से वाहनों के पहिये जाम होने से वाहन स्वामियों व चालकों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो गयी है। जिन वाहन स्वामियों ने बैंक से ऋण लेकर वाहन खरीदे उनकी समस्या अधिक विकट बनी हुई है । ग्रमीण क्षेत्रों में मजदूरी पर निर्भर रहने वालों के घरों में  रोटी का संकट बना हुआ है।  क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर ब्रेक लगने से मजदूर भविष्य की आश छोडने के लिए विवश होने वाले है। होटल व चाय के दुकानों के लिए गाइडलाइन जारी न होने से छोटे तबके के व्यापारियों के हिस्से निराशा ही पहुंच पायी है। क्षेत्र के अन्तर्गत तीर्थ व पर्यटक स्थलों की आवाजाही पर रोक लगने से तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय पर निर्भर रहने वाले युवाओं को भविष्य की चिंता सताने लग गयी है।

18 मई से शुरू होने वाले चौथे लांक डाउन की गाइडलाइन में यदि मानकों के अनुसार केदार घाटी सहित सम्पूर्ण उत्तराखण्ड के तीर्थ व पर्यटक स्थलों में आवाजाही पर छूट नहीं दी गयी तो क्षेत्र की आर्थिकी को पटरी पर लाने में वर्षों का समय लग सकता है

  • जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय में ढील देने की गाइडलाइन जारी नहीं होती है तो यहाँ के युवाओं के सन्मुख बहुत बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
  • मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लघु उद्योगों को बढ़ावा देने से बेरोजगारों के सन्मुख स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकते है ।

  • कनिष्ठ प्रमुख शैलेन्द्र कोटवाल का कहना है कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में ठोस पहल नहीं की गयी तो कई लोगों को दो जून की रोटी के लिए मोहताज होना पड़ सकता है।
  • लक्ष्मण सिंह नेगी
  • वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

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