पहाड़ के बंजर खेत अब उगलेंगे ‘सोना’

सोमेश्वर। लॉकडाउन जहां एक ओर अधिकांश लोगों के लिए संकट लाया है। वहीं दूसरी ओर पलायन से खाली हुए पहाड़ों में खेतीबाड़ी और बागवानी के क्षेत्र में अवसर भी लाया है। ऐसे में गांवों में भविष्य के लिये कृषि, बागवानी और पशुपालन रोजगार के अवसर बन रहे हैं. जिसके तहत ग्राम छानी कौसानी के युवा काश्तकार खीम सिंह दोसाद, गोविंद दोसाद, ललित दोसाद ने स्ट्रॉबेरी का उत्पादन किया। आज उनके खेत खलिहानों में स्ट्रॉबेरी की खेती लहलहा रही है।
ज्येष्ठ प्रमुख ललित दोसाद ने बताया कि काश्तकारों को पुणे से स्ट्रॉबेरी के पौंधे मंगाकर उपलब्ध कराए गए हैं। उनके और अन्य काश्तकारों के द्वारा स्ट्रॉबेरी पौंधे फरवरी में लगाई गई जो अब फल देने लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनके मित्र संजय बिरोला द्वारा काकड़ीघाट में बड़े स्तर पर इसकी खेती की जा रही है। जिसे देखकर वह भी प्रेरित हुए। उन्होंने अपने क्षेत्र का मृदा परीक्षण कराया। जिससे पता चला कि यहां की मिट्टी व वातावरण स्ट्रॉबेरी के लिये उपयुक्त है। भविष्य में ऐसे रोजगार से जोड़ कर अन्य काश्तकारों को भी जोड़ा जाएगा। उद्यान और कृषि विभाग से संपर्क कर पॉलीहाउस निर्माण करने के साथ इच्छुक काश्तकारों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसकें साथ ही अधिक से अधिक युवाओं को कृषि, बागवानी, जैविक खेती से जोड़ने की मुहिम चलाई जाएगी। वहीं छानी गांव भारत का मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से विख्यात पर्यटन नगरी कौसानी का हिस्सा है। देश-विदेश से यहां पर्यटकों की खूब आवाजाही होती है। किसानों को स्ट्रॉबेरी की बिक्री के लिए बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है।

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