जब घर जाने का सपना हुआ ‘चकनाचूर’

पिथौरागढ़ । लॉकडाउन थ्री में मिली छूट के दौरान 36 नेपालियों ने भी घर लौटने का सपना देखा था। इस सपने को साकार करने के लिए सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली तो ये लोग खुद ही एक गाड़ी बुक कराकर अपनी राह पर निकल पड़े। लेकिन नेपाल जाने के सभी रास्ते बंद होने के कारण इन्हें पिथौरागढ़ में क्वारन्टीन होना पड़ रहा है।
नेपाली नागरिकों का ये दल यूपी के अमरोहा में काम करता था। लॉकडाउन के बाद 2 महीने तक बिना काम के जैसे-तैसे वहीं कमरों में कैद रहे। लेकिन जब केंद्र सरकार ने लॉकडाउन थ्री में घर वापसी की इजाजत दी तो, ये लोग भी अपने खर्चे पर 40 हजार रुपये में गाड़ी बुक कर अपने घरों को चल पड़े।
घर वापसी का सपना देख रहे इन लोगों ने शायद ही सोचा होगा कि उनकी डगर मझधार में ही थम जाएगी। दल में शामिल क्षेत्र भंडारी ने बताया कि वो और उनके साथी 13 मई को अमरोहा से चले थे। उनकी तैयारी शुरू में बनबसा के रास्ते नेपाल पहुंचने की थी। लेकिन पुलिस ने गाड़ी को बनबसा में नहीं रुकने दिया। जिस कारण उन्हें न चाहते हुए भी पिथौरागढ़ आना पड़ा। पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए इस दल को 170 किलोमीटर का एक्स्ट्रा सफर तय करना पड़ा। पिथौरागढ़ हेडक्वार्टर पहुंचने के बाद ये लोग नेपाल बॉर्डर झूलाघाट रवाना हुए। लेकिन झूलाघाट में इंटरनेशनल झूला पुल दोनों ओर से बंद मिला। नतीजा ये रहा कि न चाहते हुए भी इन्हें पिथौरागढ़ हेडक्वॉर्टर लौटना पड़ा. हेडक्वॉर्टर में फिलहाल ये लोग डिग्री कॉलेज क्वारन्टीन सेंटर में हैं, जहां इनके खाने-पीने का इंतजाम तो स्थानीय प्रशासन कर रहा है। लेकिन घर वापसी का इनका सपना चूर-चूर हो गया है। नेपाल के बजांग निवासी अनिल बोहरा कहते है कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि वे ऐसे मझधार में फंस जाएंगे। लॉकडाउन कब खुलेगा कोई नहीं जानता. नेपाल सरकार लगातार लॉकडाउन बढ़ाये जा रही है। दो राज्यों और दो मुल्कों के बीच चक्कर काट चुके ये लोग अब उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जब नेपाल सरकार इनके लिए पुल के दरवाजे खोले।

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