चोपता पहुंची भगवान तुगनाथ की चल विग्रह डोली

ऊखीमठ । पंच केदार में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए मिनी स्वीजरलैण्ड के नाम से विख्यात खूबसूरत हिल स्टेशन चोपता पहुंच गयी है। बुधवार को भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर लगनानुसार भगवान तुगनाथ के कपाट जय भोले, जय तुगनाथ के उदघोषो के साथ ग्रीष्मकाल के लिए पौराणिक परम्पराओं व रीति – रिवाजों के साथ खोल दिये जायेगें! प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार मात्र 13 तीर्थ पुरोहित व हक- हकूधारी ही डोली की अगुवाई कर रहे हैं।

लाक डाउन के नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है! मंगलवार को भूतनाथ मन्दिर में आचार्यों द्वारा बह्मबेला पर पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजाये समपन्न कर तैतीस करोड़ देवी- देवताओं का आवाह्न कर विश्व कल्याण की कामना की तथा भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों का रुद्राभिषेक कर आरती उतारी, भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों का विधि – विधान से पूजा होने के बाद चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को डोली में विराजमान कर डोली का विशेष श्रृंगार किया गया तथा डोली के साथ चल रहे अनेक देवी – देवताओं के निशाणो की आरती कर सभी ने आशीष प्राप्त किया! ठीक दस बजे भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मन्दिर से हिमालय के लिए रवाना हुई तथा आम जनमानस ने घरों से ही हाथ जोड़कर कर डोली को विदा किया तथा पूरे संसार को वैश्विक महामारी से निजात मिलने की कामना की, कोरोना वायरस के कारण लांक डाउन होने से भगवान तुगनाथ की डोली सादगी से हिमालय के लिए रवाना हुई तथा पावजगपुणा, चिलियाखोड, बनिया कुण्ड के बुग्यालों में नृत्य करते हुए देर सांय अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंच गयी है! पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान तुगनाथ की डोली को हिमालय के आंचल में बसे सुन्दर मखमली बुग्याल अति प्रिय लगते है इसलिए भगवान तुगनाथ की डोली के मखमली बुग्यालों में नृत्य करने का दृश्य बड़ा ही मार्मिक होता है। बुधवार को भगवान तुगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर लगभग 11:30 बजे भगवान तुगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें! इस मौके पर डोली प्रभारी यदुवीर पुष्वाण, प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित, मठापति राम प्रसाद मैठाणी, नरेंद्र सिंह, उमेद सिंह, तहसीलदार जयबीर राम बधाणी सहित तीर्थ पुरोहित मौजूद थे!

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