सोशल डिस्टेंसिंग अब सिर्फ ‘औपचारिक’

बनेगा चुनौती
देहरादून। लाकडाउन पार्ट चार जिसके नये रूप रंग में होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही थी उसकी रूप रेखा सामने आ चुकी है। राज्य में कोई रेड जोन नहीं है इसलिए बाजारों को आंशिक रूप से खोल दिया गया है तथा यातायात में भी ढील दे दी गयी है। अब चंद पाबंदिया ही शेष बची है। खास बात यह है कि लाकडाउन में केन्द्र और अब राज्य सरकार द्वारा दी गयी तमाम तरह की ढील के बाद  दून सहित तमाम अन्य शहरों के बाजारों में और सड़कों पर खासी भीड़ देखी जा रही है। कदाचित यह कहना भी गलत नहीं होगा कि पहले ही दिन आम दिनों की तरह लोग सड़कों पर निकल पड़े हैं। कहीं भी किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग की बात अब महज एक औपचारिकता बनकर रह गयी है।
शायद लोगों ने यह मान लिया है कि कोरोना खत्म हो गया। खास बात यह है कि अभी न तो लाकडाउन खत्म हुआ है और न ही कोरोना खत्म हुआ है। लेकिन इस सच के साथ कि कोरोना अभी लम्बे समय तक खत्म नहीं होना है लोगों को अब इनके साथ ही जीना होगा। सरकारों ने लोगों से प्रतिबंध कम कर दिये है। कहने का आशय है कि लोगों को कोरोना के साथ कैसे जीना है यह उन्हे खुद तय करना है। अगर वह खुद अहतियात नहीं बरतते है तो मरने के लिए भी वह खुद जिम्मेदार होगें। इस ढील के बाद जिस तरह की भीड़ बाजारों और सड़कों पर देखी जा रही है उससे साफ है कि पुलिस प्रशासन भी अब सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य नियमों का पालन उनसे नहीं करा पायेगा।

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