सरकार हर क्वारंटाइन पर होने वाले खर्च की जानकारी दे

देहरादून। तमाम खतरों को जानते हुए और हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद भी उत्तराखण्ड सरकार घर वापसी कर रहे प्रवासियों की राज्य की सीमा में जांच और संस्थागत क्वारंटाइन करने में असमर्थ रही, जिसका नतीजा आज कोरोना राज्य के कोने कोने में पहुंच गया है।  पिरशाली ने कहा कि खबरों से पता चल रहा है कि प्रदेश के कोरोना क्वारंटाइन केंद्रों में सरकार एक व्यक्ति पर एक दिन में 2,440 रुपये खर्च कर रही है, जिसमें 600 रुपये खाने के लिये, 550 साफ सफाई के लिये और 1230 अन्य खर्चे शामिल हैं। उत्तराखण्ड के क्वारंटाइन केंद्रों की दशा और व्यवस्था देखकर ये बात हजम नहीं होती है कि सरकार एक व्यक्ति पर एक दिन में 2,440 रु रुपय खर्च कर रही है। जहां तक पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटाइन केंद्रों की बात है तो ये केंद्र खेतों में झोपड़ियां बना कर, मशरूम या शिमला मिर्च के लिए बनाए गए प्लास्टिक के टेंट अथवा पंचायत घर या स्कूलों में बने हैं और इन क्वारंटाइन केंद्रों का सारा जिम्मा वहां के ग्राम प्रधान को दिया गया है, जहां तक 2,440 रुपये प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति खर्च की बात है तो इन ग्राम प्रधानों को अब तक एक रूपया भी नहीं दिया गया गया। जो लोग क्वारंटाइन हैं वे अपना खर्च खुद उठा रहे हैं या उनके लिए खाना उनके घर वाले दे रहे हैं, बाकी ग्रामप्रधान स्वयं या गांव वालों की सहायता से व्यवस्था कर रहे हैं। देहरादून में बैठकर जो खर्च जारी किया गया है वो गांव के क्वारंटाइन केंद्र से कहीं मेल नहीं खाता।
उन्होंने कहा कि अब ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब क्वारंटाइन हो रहे व्यक्ति अपना खर्चा खुद उठा रहे हैं, ग्राम प्रधान अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं, उनको एक रुपये का बजट नही दिया गया है तो सोचने वाली बात है कि ये 2,440- रुपये जा कहां रहे  हैं। अब ऐसे में 3 लाख लोगों पर 14 दिन के लिए 2,440 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 8 अरब 78 करोड़ रुपये सेअधिक का खर्च आएगा।  पिरशाली ने कहा कि सरकार बताये कि क्या ग्रामीण क्वारंटाइन केंद्र, ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर के हर एक क्वारंटाइन केंद्र पर एक जैसा खर्च आ रहा है? सरकार प्रत्येक व्यक्ति पर होने वाले खर्च की विस्तृत जानकारी दे। कही ऐसा तो नहीं है कि राज्य सरकार केंद्र से दो किश्तों में मिलने वाले लगभग 1000 करोड़ो रूपये को ठिकाने लगाने का प्रबंध कर चुकी है?

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