चारधाम यात्रा पर ‘हां’ या ‘ना’, संशय बरकरार

देहरादून। केन्द्र सरकार ने आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति तो दे दी है, लेकिन चारधाम यात्रा शुरू  होगी या नहीं इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।  सरकार सुरक्षित और सीमित संख्या के साथ यात्रा शुरू करने की बात कह रही है और सिर्फ राज्य के लोगों को ही चारधाम यात्रा पर जाने  की अनुमति देना चाहती है । वहीं पंडा और तीर्थ पुरोहित और हक हकूकधारी यात्रा शुरू करने के पक्षधर नहीं है। वह सरकार से अभी चारधाम यात्रा को स्थगित रखने की अपील कर रहे हैं। बद्रीनाथ धाम के रावल से लेकर गंगोत्री, यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि अभी कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, अगर ऐसे में यात्रा शुरू की गयी तो समस्या  और भी गम्भीर हो सकती है। इसलिए अभी राज्य में चारधाम यात्रा को स्थगित रखने में ही भलाई है। रावल ईश्वरी प्रसाद नम्बूदरी ने तो पत्र लिखकर सीएम और डीएम की इस बाबत अपील की है।  विपक्ष कांग्रेस का कहना है कि सरकार पहले यात्रा की तैयारिया तो करे? अभी तो यात्रा की कोई तैयारी ही नहीं है। फिर ऐसे में कैसे यात्रा शुरू की जा सकती है। चारधाम यात्रा मार्गो से लेकर धामों तक में यात्रियों के रहने खाने और अन्य जरूरी सुविधाएं नहीं है। होटल, ढाबे व यातायात के साधन भी सुचारू नहीं है। ऐसे मेें यात्रियों को यात्रा की इजाजत कैसे दी जा सकती है। विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार ऐसी स्थिति में यात्रा शुरू करती है तो यह लोगों की जान को खतरे में डालना ही होगा। उधर पुरोहितों व अन्य लोगों के विरोध को देखते हुए सरकार भी असंमजस्य में है। एक तरफ सरकार यात्रा शुरू करने की बात कह रही है तो वहीं केन्द्र की गाइडलाइन आने का इंतजार व तीर्थ पुरोहितों से वार्ता का निर्णय लेने की बात कर रही है। वैसे भी अब आधा यात्रा सीजन बीत चुका है और मानसून आने पर यात्रा की दुश्वारिया भी स्वाभाविक है। यात्रा पर अगर राज्य के बाहर के लोग नहीं आ सकेंगे तो फिर यात्रा शुरू करने का लाभ भी क्या होगा? यही कारण है कि अगर यात्रा शुरू की भी गयी तो यह सिर्फ एक औपचारिकता भर ही होगी और बाहर के लोग यात्रा पर आयेंगे तो कोरोना का खतरा बढ़ना भी तय है।

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