,गडगू गाँव’ जहाँ होती है ‘खुशहाली के राजा’ ‘जाख’ की पूजा

मदमहेश्वर घाटी के पग – पग असंख्य देवी – देवताओं का वास।

 वर्ष भर धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन से क्षेत्र का वातावरण बना रहता है भक्तिमय ।

ऊखीमठ । हिमालय की गोद में स्थित केदार घाटी का सम्पूर्ण भूभाग प्राचीन काल से शान्ति, एकान्त और अप्रतिम सौन्दर्य के कारण ऋषि, मुनियों के साथ ही विद्वानों और विधा के आश्रमो का देवालय रहा है। इस घाटी के तमाम धार्मिक स्थल, ताल व बुग्याल तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों और सैलानियों का मन मोह लेते है। भगवान केदारनाथ का भक्त व प्रकृति का रसिक जब मान्धाता की तपस्थली ऊखीमठ से मदमहेश्वर घाटी की ओर पर्दापण करता है तो मधु गंगा की कल – कल निनाद, सीढीनुमा खेत- खलिहानों की हरियाली, मधु गंगा की सैकड़ों फीट गहरी खाईयाँ अपार वन सम्पदा से सुसज्जित भूभाग को दृष्टिगोचर करने से मानव का अन्त करण शुद्ध हो जाता है।

वर्षा ऋतु में मदमहेश्वर घाटी के निचले हिस्से में मधु गंगा से निकलने वाली बादलों की अठखेलियाँ व ऊपरी हिस्से में मन्द – मन्द खाम -मनणी बुग्यालों की कैलाशी बयार मन को मोहित कर देती है। मदमहेश्वर घाटी से भगवती कालीशिला का विशाल पर्वत, विशोणीताल के आंचल में फैली अपार वन सम्पदा, हिमालय की श्वेत चादर, व चौखम्बा के प्रत्यक्ष दर्शन करने से देवीय आनन्द की अनूभूति होने से मानव यहाँ के सौम्य वातावरण में रम जाता है।

मदमहेश्वर घाटी के कण – कण को प्रकृति ने अपने वैभव का भरपूर दुलार दिया है इसलिए मदमहेश्वर घाटी के पग – पग असंख्य देवी – देवताओं का वास है। मदमहेश्वर घाटी में वर्ष भर धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना रहता है। मदमहेश्वर घाटी के मनसूना खूबसूरत हिल स्टेशन से लगभग पांच किमी दूर विशोणीताल ताल की तलहटी व ताली बुग्यालों के आंचल में बसे गडगू गाँव में जाख राजा मेले की परम्परा पौराणिक है जिसे ग्रामीण आज भी बडे़ हर्षोंउल्लास से मनाते है। वैसे केदार घाटी में गुप्तकाशी के निकट जाखधार में वैसाख महीने की दो गते को जाख मेले का आयोजन किया जाता है,मगर गडगू गाँव में माघ महीने में जाख राजा के मेले का आयोजन किया जाता है ।

यह मेला गडगू गाँव से शुरू होकर गाँव से तीन किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के बाद मदमहेश्वर घाटी का यह पहला मेला है जिसका आयोजन नूतन वर्ष आगमन के कुछ दिनों बाद किया जाता है। जाख राजा मेले में सामूहिक भोज की परम्परा आज भी जीवित है। लोक मान्यताओं के अनुसार जाख राजा मेले का आयोजन विश्व शान्ति व क्षेत्र की खुशहाली की कामना से किया जाता है। पौराणिक लोक मान्यताओं के अनुसार गडगू गाँव में भगवान मदमहेश्वर का पौराणिक तीर्थ है तथा ग्रामीणों के निमन्त्रण पर कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली कई वर्षों बाद गडगू गाँव पहुंचती है तथा ग्रामीणों द्वारा परम्परा अनुसार भगवान मदमहेश्वर की डोली की पूजा – अर्चना की जाती है। गडगू गाँव में स्थित भगवान मदमहेश्वर के मन्दिर परिसर में ही जाख राजा का मन्दिर भी विराजमान है। गडगू गाँव में माघ महीने की पांच गते को जाख राजा मेले का आयोजन किया जाता है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार जाख राजा मेले के आयोजन से ग्रामीणों में भाईचारा बना रहता है तथा जाख राजा के आशीर्वाद से क्षेत्र में यश, कीर्ति का उदय होता है। माघ महीने की पांच गते को गडगू गाँव में ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत हक – हकूकधारी ब्राह्मणों द्वारा तैतीस करोड़ देवी – देवताओं का आह्वान कर जाख राजा की डोली का विशेष श्रृंगार कर आरती उतारी जाती है तथा जाख राजा की डोली खेत – खलिहानों में नृत्य करती है तथा गाँव के अन्तर्गत अन्य देवताओं के मन्दिरो में शीश नवा कर बुग्यालों के लिए प्रस्थान करती है। जाख राजा की डोली की अगुवाई ग्रामीणों, धियाणियो और प्रवासियों द्वारा मांगल गीतों से की जाती है। श्रद्धालुओं की जयकारो, स्थानीय वाध्य यंत्रों की मधुर धुनों से गडगू गाँव से लेकर बुग्यालों तक का भूभाग भक्ति रस में डूब जाता है ऐसा प्रतीत होता है कि सम्पूर्ण देव लोक पृथ्वी पर उतर आया हो, जाख राजा की डोली के बुग्यालों के मध्य पहुंचने पर डोली द्वारा सामूहिक भोज का निरीक्षण किया जाता है तथा डोली अपने पूजा स्थान विराजमान होती है तथा पुनः पूजा करने के बाद सामूहिक भोज परोसने की परम्परा है।

 

देर सांय जाख राजा की डोली के गडगू गाँव पहुंचने पर जाख मेले का समापन होता है तथा जाख मेले के यादगार पल मानव के मानस पटल पर छा जाते है। जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी कहते है कि एक बार मुझे भी जाख मेले में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था बुग्यालों में देव दर्शन के साथ अपार शान्ति की अनूभूति हुई।  जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा, क्षेत्र पंचायत सदस्य लक्ष्मण राणा, प्रधान बिक्रम नेगी, सुदीप राणा बताते है कि जाख मेले का आयोजन सभी ग्रामीणों की सहभागिता से किया जाता है।

 

  • ‘ जाख राजा की सच्चे मन से भक्ति करने पर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है ।,
  •  शिव प्रसाद सेमवाल, जाख राजा के पुजारी।
  •  जाख राजा मेले के आयोजन से ग्रामीणों में प्यार, प्रेम व सौहार्द बना रहता है।
  • संगीता नेगी, पूर्व सदस्य जिपं कालीमठ। 

 

  • लक्ष्मण सिंह नेगी।
  • वरिष्ठ पत्रकार , ऊखीमठ।

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