ट्राली के सहारे ग्रामीणों का ‘सफर’

ऊखीमठ। 16 / 17 जून 2013 को आपदा की भेंट चढ़े रूच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाले पुल का निर्माण आपदा के सात वर्षों बाद भी नहींं हुआ जिससे ग्रामीण व तीर्थ यात्रियों को आवाजाही करने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। आवाजाही काकोई और साधन न होने से लोग जान हथेली पर रखकर ट्रॉली के सहारे नदी पार करने को मजबूर हैं।
समस्या के समाधान के लिए ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन उनकी समस्या हल नही हुई। समस्या का समाधान न होने के बाद ग्रामीणों ने नदी पर लकड़ी की पुलिया बनाकर आवाजाही को सुचारू करने का प्रयास किये, मगर सरस्वती नदी का वेग बढ़ते ही पुलिया नदी के वेग में समा जाती है। पुल निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता सात वर्षों से करती आ रही है मगर शासन – प्रशासन के मौन रहने से ग्रामीणों की आस धरी की धरी रह गयी है। अब ग्रामीणों ने भी पुल निर्माण होने की आश को दर किनार कर दिया है। विदित हो कि 16/17 जून 2013 को केदार घाटी में हुए जल प्रलय से कालीमठ घाटी के रूच्छ महादेव व कोटि माहेश्वरी तीर्थ को जोड़ने वाला सरस्वती नदी पर बना पुल आपदा की भेंट चढ़ गया था । पुल के आपदा की भेंट चढने के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा ग्रामीणों की आवाजाही के लिए टाली लगायी थी, तो तीर्थ धामो में नित्य पूजा करने वाले पुजारी टाली के सहारे आवाजाही करते रहे ।
समय रहते बरसात के बाद सरस्वती नदी का वेग कम होने पर ग्रामीणों द्वारा नदी पर लकड़ी का अस्थायी पुलिया का निर्माण किया जाता मगर बरसात शुरू होते ही पुलिया नदी के वेग में समा जाती। पुल बनाने के लिए जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश सरकार तथा सिद्धपीठ कालीमठ आने वाले केन्द्रीय मंत्रियों तक गुहार लगाई जा चुकी है मगर सभी ने मौन रहने में भलाई समझी जिससे क्षेत्र की जनता भी हार मान चुकी है। पूर्व प्रधान लक्ष्मण सिंह सत्कारी ने बताया कि आपदा के बाद आपदा प्रभावित क्षेत्रों में करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया गया मगर रुच्छ महादेव को जोड़ने वाले पुल के लिए जिला प्रशासन व प्रदेश सरकार के पास आज तक बजट न होना क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार है।
रुच्छ महादेव के पुजारी सत्यानन्द भटट् ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा लगायी गयी टाली का रख – रखाव न होने से टाली की रस्सी कमजोर हो चुकी है तथा आगामी बरसात में टाली से ही आवागमन करना पडेगा जिससे कभी बड़ा हादसा हो सकता है।
कनिष्ठ प्रमुख शेलेन्द्र कोटवाल का कहना है कि आपदा के सात वर्षों में भी पुल का निर्माण न होना चिन्ता का विषय है कहा कि लांक डाउन समाप्त होने के बाद क्षेत्र पंचायत की बैठक में पुल निर्माण की मांग सदन में रखी जायेगी ।
- लक्ष्मण सिंह नेगी।
- वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।