एक करोड़ में सेनेटाइज हुआ दून

 देहरादून। कोरोना के वायरस को मारने के लिए जो सेनेटाइजिंग का काम किया जा रहा है उससे कोई भी फायदा होने वाला नहीं है। क्योंकि इससे वायरस तो क्या सामान्य मच्छर और कीड़े मकोड़े भी नहीं मर सकते है। यही नहीं यह काम आम आदमी के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त ही हानिकारक है। लेकिन दून नगर निगम ने अब तक सेनेटाइजेशन के नाम पर एक करोड़ रूपया खर्च कर दिया है। जिसका कोई लाभ होने वाला नहीं है।
यह बात हम नहीं कह रहे है बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कही गयी है। शहरों तथा खुले स्थानों को सेनिटाइज करने के नाम पर भले ही लाखों करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे हों लेकिन इसका कोई भी लाभ नहीं हो सकता है। इसका प्रभाव चंद मिनट में ही धूल और हवा के कारण समाप्त हो जाता है तथा इससे मख्खी और मच्छर तक नहीं मरते है। संगठन का कहना है कि इसका लाभ सिर्फ भवनों के फर्श पर तभी होता है जब इसे कपड़े के पौंछे से साफ किया जाये।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का तो यहंा तक कहना है कि इसका मानसिक और शारीरिक कुप्रभाव आदमी की जिन्दगी पर जरूर पड़ता है। इससे त्वचा और आखों को भारी नुकसान पहुंचता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन पर काम करने की बात कहने वाली सरकार और नेता इस बात पर कतई भी ध्यान नहीं दे रहे है। कई स्थानों पर यह भी सामने आया है कि स्वास्थ्य कर्मी लोगों के शरीर पर सेनेटाइजर की बौछार कर देते है जो अत्यन्त ही घातक है। संभवतः आपदा काल में सेनेटाइजेशन के नाम पर घपले घोटाले भी खूब हो रहे है। कई जगह से कैमिकल के नाम पर पानी का छिड़काव करने की खबरें भी आ चुकी है ऐसा लगता है कि इस सेनेटाइजिंग को भी अधिकारियों ने कमाई का जरिया बना लिया है।

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