लॉकडाउन से ‘लॉक’ हुआ पर्यटन व्यवसाय

ऊखीमठ। वर्ष 1942 से जून माह में महायज्ञ व पुराणवाचन के आयोजन से गुलज़ार रहने वाला कार्तिक स्वामी तीर्थ इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए लाक डाउन से वीरान है। कार्तिक स्वामी तीर्थ के विगत तीन माह से वीरान होने के कारण क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होने के साथ स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख भी रोजी – रोटी का संकट बना हुआ है। तल्ला नागपुर के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में सर्व प्रथम महायज्ञ का श्रीगणेश वर्ष 1942 में हुआ था तथा तब से हर तीसरे वर्ष महायज्ञ का आयोजन किया जाता था। वर्ष 1996 में मन्दिर समिति का गठन होने से कार्तिक स्वामी तीर्थ में जून माह में होने वाले महयज्ञ व पुराणवाचन की परम्परा हर वर्ष होने लगी थी।

कार्तिक स्वामी तीर्थ में जून माह में महायज्ञ व पुराणवाचन के आयोजन से जून माह के प्रथम सप्ताह से लेकर तीसरे सप्ताह कर तीर्थ यात्रियों , मन्दिर समिति के पदाधिकारियों, विद्धान आचार्यों व्यापारियों तथा महायज्ञ में सहभागिता निभाने वाले कार्यकर्ताओं की आवाजाही से कार्तिक स्वामी तीर्थ गुलज़ार रहता था। कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ व पुराणवाचन के समय पर कनकचौरी – कार्तिक तीन किमी पैदल मार्ग पर विभिन्न प्रकार की दुकानें सजने के साथ ही तल्ला नागपुर व तल्ला कालीफाट के हिल स्टेशनों पर भी रौनक रहती थी,मगर इस बार लाक डाउन होने कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ व पुराणवाचन का आयोजन न होने से सम्पूर्ण भूभाग वीरान बना हुआ है।

कार्तिक स्वामी तीर्थ में विगत कई वर्षों से महायज्ञ में अपने भागीदारी दे रहे ताजवर पुरी ने बताया कि कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ के दौरान स्थानीय श्रद्धालुओं में भारी उत्साह बना रहता था तथा पूरे जून माह में श्रद्धालुओं की आवाजाही से तीर्थ में रौनक रहती थी। कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ के दौरान कई वर्षों से भण्डारे का आयोजन करते आ रहे चोपता निवासी पचम सिहं नेगी बताया कि इस वर्ष कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ का आयोजन न होने से क्षेत्र का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हुआ है।

आचार्य सुधीर नौटियाल ने बताया कि विगत वर्षों तक कार्तिक स्वामी तीर्थ में आयोजित महायज्ञ व पुराणवाचन में शामिल होने से मन को अपार शान्ति की अनुभूति होती थी! स्थानीय व्यापारी सूरज नेगी ने बताया कि लांच डाउन के कारण कार्तिक स्वामी तीर्थ में महायज्ञ व पुराणवाचन का आयोजन न होने से स्थानीय व्यापारियों के सन्मुख रोजी – रोटी का संकट बना हुआ है।

  • लक्ष्मण सिंह नेगी
  • वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

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