अभी स्कूलों को खोलने के पक्ष में नहीं हैं अभिभावक

नई दिल्ली।  स्कूलों को खोलने के लिए एनसीईआरटी  कितने भी मसौदा तैयार  कर ले लेकिन, अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को सुरक्षा की दृष्टि से स्कूल भेजने को राजी नही है। उनका कहना है कि बच्चे जब स्कूल जाएंगे तो उनपर हर समय नजर रखना बेहद मुश्किल होगा।   अभिभावको  के अनुसार कोरोना के हालात सामान्य होने के बाद जब स्कूल खुलेंगे तो कैसे खुलेंगे और जो स्कूलें  10, 12 फीट के कमरों में संचालित हो रहे हैं, उनमें छह फीट की दूरी कैसे बनेगी, क्या स्कूल वाले बच्चों के टेबल, कुर्सियों को रोज सेनिटाइजिंग करेंगे।

स्कूल प्रशासन एक दो दिन अभिभावको, प्रशासन को दिखाने के लिए  सेनिटाइजिंग जरूर करेंगे उसके बाद बच्चों की सुरक्षा के लिए उपाय करना भूल जाएंगे। क्यो कि  हर दिन का खर्चा उठाने को तैयार नही होंगे, और कोई करने को तैयार हो भी गया तो इसके लिए भी सुरक्षा के नाम पर स्कूल वाले अभिभावको की ही जेब ढीली करेंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर एनसीईआरटी ने स्कूलों को खोलने के लिए पूरा रोड मैप तैयार कर लिया है। इसका पालन सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों को करना होगा। स्कूलों को छह चरणों में खोलने की तैयारी है। पहले चरण में बड़ी कक्षाएं यानी कक्षा 11 व 12वीं  की कक्षा खोली जाएगी। एक सप्ताह बाद 9 व 10वीं की कक्षाएं शुरू होंगी। उसके बाद 6 से 8वीं तक की कक्षाएं दो सप्ताह बाद शुरू होंगी। तीसरे सप्ताह  कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को विद्यालय बुलाया जाएगा। चौथे सप्ताह पहली व दूसरी कक्षाओं के बच्चों को बुलाने की योजना  है। वहीं नर्सरी कक्षाओं को पांच सप्ताह के बाद तभी शुरू किया जाएगा, जब अभिभावक चाहेंगे।  छात्रों को समान विषयों के आधार पर बुलाया जाएगा, ताकि संख्या पर नियंत्रण करते हुए सामाजिक दूरी भी बनायी जा सके। रोड मैप में यह कहा गया है कि सभी बच्चों को होमवर्क अनिवार्य रूप से देना होगा। प्रत्येक कक्षा में 30 से 35 छात्र ही बैठेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के लिए बच्चों के बीच में 6 फीट की दूरी होगी। स्कूल परिसर में सुबह की प्रार्थना जैसे सामूहिक क्रियाकलाप नहीं होंगे। कक्षाओं में छात्र, शिक्षक व अन्य सभी तरह के स्टाफ को मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना होगा। स्क्रीनिंग के दौरान संक्रमण के लक्षण देखे जाने पर स्कूल में प्रवेश वर्जित होगा। इसके साथ ही विद्यालयों में एसी का प्रयोग वर्जित होगा तथा सभी दरवाजे और खिड़कियां खुली रखनी होगी। छात्रों के लिए स्थान यानी उनकी सीट नियत होंगी और उनकी डेस्कों पर नाम लिखा होगा। छात्रों को अपना टिफन व पानी शेयर करने की अनुमति भी नहीं होगी।  आसपास स्थान उपलब्ध होने पर खुले स्थानों में कक्षाएं लगायी जा सकती हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि स्कूल खुलेंगे कब। एचआरडी मंत्रालय इन सुझावों को राज्य सरकारों के साथ विचार करनेके बाद गृह मंत्रालय को भेजेगा। उसके बाद ही स्कूल खुलने पर अंतिम निर्णय होगा।

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