दिल्ली में पेट्रोल के बराबरी पर डीज़ल
नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी कम होने के बावजूद भारत में इसके दामों में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। लगातार तेल के कीमतों में बढ़ोतरी होने से लोग परेशान होने लगे हैं। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि अब डीजल और पेट्रोल की कीमत लगभग बराबर हो गई है। दोनों के रेट में सिर्फ पैसों का अंतर रह गया है। डीजल, पेट्रोल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ने की संभावना है जिसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ने से कई सेक्टर के कारोबार पर गंभीर असर पड़ने की आशंका बन गई है, जिससे रोजगार पर भी संकट छा सकता है। उत्तराखण्ड कि बात करे तो डीजल, पेट्रोल के दाम बढ़ने से यहां के लोग चिंतित नज़र आ रहे हैं। पेट्रोलियम पदार्थ के दाम बढ़ने से ज़रूरतमंद वस्तुओं की क़ीमतों में तेज़ी आने की संभावना है, अगर ऐसा होता है तो कोरोना की मार झेल रहे लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी। दिल्ली में मंगलवार को पेट्रोल की कीमत 79.76 रुपये प्रति लीटर हो गई है। सोमवार को 79.56 रुपये प्रति लीटर कीमत थी। वहीं डीजल की कीमत सोमवार को 78.85 रुपये था। मंगलवार को डीजल के दाम बढ़कर 79.40 रुपए प्रति लीटर हो गई है। अब डीजल और पेट्रोल की कीमत में महज 36 पैसे प्रति लीटर का अंतर रह गया गया है। डीजल का इस्तेमाल एग्रीकल्चर, ट्रांसपोर्ट, बिजली जैसे जरूरी सेक्टर में होता है। डीजल बढ़ने का सबसे त्वरित असर ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर पडेगा। ट्रकों के भाड़े और ट्रेनों के माल भाड़े बढ़ जाएंगे. इससे अनाज-सब्जियों जैसे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति महंगी हो जाएगी और इनकी कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी। इस तरह से महंगाई बढ़ेगी.
वही डीजल के दाम बढ़ने से सार्वजनिक यातायात के साधन महंगे हो जाएंगे। बसों का किराया बढ़ेगा। ट्रेनों का किराया भी बढ़ेगा। जो लोग डीजल कार से चलते हैं उनकी भी यात्रा की लागत काफी बढ़ जाएगी और महीने का ईंधन बिल भी बढ़ जाएगा। डीजल कीमत बढ़ने की बड़ी मार किसानों पर ल पड़ेगी। देश में बड़े पैमाने पर सिंचाई, थ्रेसरिंग जैसे कृषि कार्य डीजल इंजनों से ही होते हैं। डीजल के दाम बढ़ते जाने से इस सेक्टर पर तगड़ी चोट पड़ेगी। किसानों की फसल उत्पादन पर लागत बढ़ जाएगी। किसानों को अपने उत्पाद के दाम बढ़ाने पड़ेंगे, जिसका सारा भार आम जनता पर पड़ेगा। डीजल, पेट्रोल केे दाम बढ़ने से कारों की बिक्री पर बहुत गंभीर असर पड़ पड़ेेगा। अब डीजल-पेट्रोल की कीमत बराबर होने से लोग डीजल कारों को खरीदने से हिचक रहे हैं। खरीदार कम होने से उत्पादन भी कम होगा, जिससे इन कम्पनियों में काम करने वाले लोगों के संकट छा जाएगा। कारखानों, कॉरपोरेट सेक्टर में बिजली की वैकल्पिक जरूरत के रूप में डीजल से चलने वाले बड़े-बड़े जनरेटर सेट होते हैं। इन जेनरेटर्स में डीजल की खपत काफी ज्यादा होगी तो खर्च बढ़ेगा। संचलनात्मक खर्च बढ़ने की भरपाई कंपनियां अपने उत्पादों के दाम बढ़ाकर ही करेंगी, जिसका खमियाजा जनता ही को भुगतना पड़ेगा।