जहां पग-पग में बसते हैं……

ऊखीमठ। अनेक नामों से पुकारा जाने वाला भू – भाग उत्तराखण्ड, गढ़वाल, हिमवन्तदेश, मानसखण्ड, केदारखण्ड, स्वर्गधाम, पितृधाम, मानवीय संस्कृति और सभ्यता का परिचायक है। इस क्षेत्र में नर- नारायण और गौरी शंकर की महिमा वर्णित है। हिमालय शिव की तपोभूमि और पार्वती की जन्मभूमि है जहां शाश्वत शिव – शक्ति विराजमान रहते हैं, यही क्षेत्र अनादि काल से धर्म, कर्म, ज्ञान और मोक्ष का धाम है। इस क्षेत्र में देवात्मा हिमालय के चारों ओर प्रकृति के सौन्दर्य का वैभव बिखरा हुआ है। जिसे निहारने से अखिल कामनाओं व अर्थो की पूर्ति होती है।  केदारखण्ड के अन्तर्गत नागपुर को तीन खण्डों में विभाजित करने के साक्ष्य प्राचीन है। नाग राजाओं के निवास करने से यह भूभाग नागपुर नाम से विख्यात है। नागपुर के पहले खण्ड को तल्ला नागपुर से नाम से जाना जाता है । यह क्षेत्र जनपद रूद्रप्रयाग की ह्रदयस्थली के नाम से भी विख्यात है। यूँ तो तल्ला नागपुर के पग – पग करोड़ों देवी – देवताओं का वास है मगर मयकोटी गाँव के ग्रमीणों की आराध्या देवी हरियाली व पद्मावती की धार्मिक महत्ता को जितना बयाँ करुं उतना कम है! भगवती हरियाली व पद्मावती का विस्तृत वर्णन हमारे पूर्वज पुस्तक में विस्तार से मिलता है!मयकोटी गाँव के विद्वान स्वर्गीय भवानी दत्त वशिष्ठ, शिक्षाविद् चन्द्र मोहन वशिष्ठ व सम्पादक मण्डल द्वारा लिखित पुस्तक हमारे पूर्वज के पृष्ठ संख्या 5 से 8 के अनुसार हरियाली देवी, त्रिशक्ति, नव दुर्गा, उमा, लक्ष्मी, काली, सरस्वती, गायत्री, सती अनेक नामों से पुकारी जाती है। सन् 1807 में आचार्य पं अचलानन्द वशिष्ठ, विद्याभूषण की पगड़ी में हरियाली देवी जो धनपुर जसोली में हरियाली पर्वत की चोटी पर मन्दिर में स्थापित है। यज्ञ समाप्त होने के पश्चात प्रसन्न होकर आशीर्वाद स्वरूप मयकोटी गाँव में आयी। किंवदन्ती है कि पंडित  को सपने में कहा कि “मुझे पर्वतशिखर के उस स्थान पर स्थापित करना, जहाँ से मैं अपने पूर्व स्थान को देख सकूं!” सन् 1807 में मयकोटी गाँव के श्रद्धालुओं द्वारा भाद्रपद दुर्गा अष्टमी के दिन डांडाधार में देवी की स्थापना की गई तब से इस स्थान का नाम हरियाली धार पडा़।  भगवती हरियाली की तपस्थली हरियालीधार में आध्यात्मिक रहस्य का पूर्ण ज्ञान मिलता है। यह तीर्थ प्रकृति के अद्भुत सुन्दरता का अक्षय भण्डार है। भगवती हरियाली के तीर्थ के चारों तरफ हरी – भरी वादियाँ और छह जुला की उपजाऊ भूमि के साथ अपार वन सम्पदा यहाँ प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चाँद लगा देते हैं । इस तीर्थ से हिमालय व केदार घाटीकी सुरम्य वादियों को निहारने का सौभाग्य भगवत् कृपा से मिलता है। भगवती हरियाली की सच्चे मन से श्रद्धा सुमन अर्पित करने से मानव हृदय के सुकोमल मधुर भावों का उदय होता है जिससे माँ हरियाली का भक्त व साधक भगवती की भक्ति में तल्लीन हो जाता है। भगवती हरियाली की तपस्थली से प्रकृति के सुरम्य और स्वच्छन्द वातावरण में ईश्वरीय शक्ति की अनुभूति होती है। इस पावन तीर्थ में जो मनुष्य माँ हरियाली के प्रति अपनी विश्वासमयी भावनाओं को भगवती के श्रीचरणों में अर्पित करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। भगवती हरियाली का पावन तीर्थ मयकोटी गाँव से लगभग एक किमी दूर ऊंचे शीर्ष पर विराजमान है।

इस तीर्थ में लोहे के त्रिशूल, दराँती चढा़ने से मनौवांछित फल की प्राप्ति होती है। बताया कि तीर्थ में रुद्रप्रयाग – पोखरी मोटर मार्ग पर 15 किमी दूरी तय करने के बाद मयकोटी हिलस्टेशन से पहुंचा जा सकता है! उन्होंने बताया कि हरियाली मन्दिर में नित्य पूजा का विधान है तथा समय – समय पर विशाल धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन विश्व कल्याण की कामना से किये जाते है! बताया कि यह तीर्थ अद्भुत प्राकृतिक वैभव से पूर्ण दर्शनीय स्थल है।

  •  शम्भूप्रसाद वशिष्ठ
  • मन्दिर समिति अध्यक्ष

इस तीर्थ के चारों ओर रंग-बिरंगे महकते हुए फूलों तथा सुन्दर जलवायु के कारण यहाँ का वातावरण स्वर्ग के समान महसूस होता है तथा भगवती हरियाली के दर्शनों से मानसिक शान्ति मिलती है।  ग्रामीणों द्वारा प्रतिवर्ष भाद्रपद के महीने में तीन दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया जाता है तथा भगवती हरियाली के अर्चक को तीन दिन पूर्व आचार, व्यवहार, खान-पान, रहन-सहन में सात्विकता बरतने का विधान है। इस तीर्थ में पंचमुखी हनुमान सहित अन्य देवी – देवताओं के भी दर्शन करने का सौभाग्य मिलता है।

  •  कृष्णानन्द वशिष्ठ
  • मन्दिर समिति कोषाध्यक्ष

ओम प्रकाश वशिष्ठ बताते है कि मयकोटी गाँव के मध्य भगवती पद्मावती का पावन तीर्थ भी विराजमान हैं। भगवती अष्टदल कमल के आसन पर विराजमान है तथा भगवती पद्मावती का स्मरण करते ही सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते है। अरविंद नौटियाल बताते हैं कि मयकोटी गाँव के पश्चिम भाग में नृसिंह भगवान का पावन तीर्थ है उस तीर्थ से पूर्व दिशा के हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं और उनसे निकलने वाली पावन पवित्र नदियों तथा प्रकृति के अनोखे वैभव का भरपूर दुलार मिलता है। कुशलानन्द वशिष्ठ, राजेन्द्र प्रसाद वशिष्ठ, विनोद जोशी, शिव प्रसाद वशिष्ठ, देवी प्रसाद वशिष्ठ, राकेश उनियाल, चन्द्र शेखर उनियाल, आदित्य राम वशिष्ठ, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, भगवती प्रसाद खनाई, बृजभूषण शर्मा, चन्द्र शेखर प्रदाली, हृदय राम वशिष्ठ पत्रकार प्रियांक वशिष्ठ का कहना है कि प्रदेश सरकार की पहल पर पर्यटन विभाग द्वारा कार्तिक पर्यटन सर्किट के साथ यदि मयकोटी गाँव के तीर्थ स्थलों को भी शामिल कर विकसित करने की पहल की जाती है तो मयकोटी गाँव से लेकर कर्णधार तक के अन्य तीर्थ स्थलों का भी सर्वागीण हो सकता है।

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