अभिभावकों का आर्थिक शोषण कर रहे स्कूलें
देहरादून। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय ने प्रधानमन्त्री, केंद्रीय मानव संसाधन मन्त्री व मुखमंत्री को पत्र भेज़कर शिक्षार्थियों को हो रही असुविधा, शारीरिक हानि, मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक हानि की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने युवा पीढ़ी के भविष्य को बचाने हेतु प्रभावी उपाय करने को कहा है। उपाध्याय ने भेजे पत्र में कहा कि 22 मार्च से अब तक शिक्षा के क्षेत्र हेतु केंद्र व राज्य सरकारें उदासीनता बरत रही हैं। सरकारी और ग़ैर सरकारी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रहे हैं और अब उसमें “डेटा प्रदाता” क्षेत्र भी शामिल हो गया है। इन विद्यार्थियों का भविष्य क्या होगा। आज अत्यन्त चिन्ता का विषय है। On line शिक्षा ने विद्यार्थियों पर गहरे शारीरिक और मानसिक कुप्रभाव डालने शुरू कर दिये हैं। मस्तिष्क और आँखों पर अत्यन्त नकारात्मक असर हो रहा है।वैज्ञानिकों ने भी इस ओर ध्यान आकृष्ट किया है। शिक्षण संस्थान फ़ीस अलग से ले रहे हैं। प्रति माह रुपए 3 से 4 हज़ार। “”डेटा” ख़रीदने हेतु कोरोना से आर्थिक रूप से टूटे हुये अभिभावकों को मजबूरी में खर्च करना पड़ रहा है। मोबाईल से काम नहीं चल रहा, अब बच्चों को कम्प्यूटर या लैप टोप ख़रीदना पड़ रहा है और सस्ते से सस्ता कम्प्यूटर/लैप टोप रू. 40000/- से कम नहीं है। बच्चों के साथ-साथ अभिभावक व पूरा परिवार मानसिक अवसादी हो रहे हैं। लाभ “डेटा प्रदाताओं”, मोबाईल व कम्प्यूटर निर्माताओं को हो रहा है। आम भारतीय पिस रहा है। ग्रामीण व पर्वतीय क्षेत्र में तो ‘नेट’ काम ही नहीं करता। बच्चों के भविष्य की रक्षा से ही राष्ट्र की रक्षा होगी। एक पूरी पीढ़ी अगर तनावग्रस्त हो गयी, तो क्या हालात होंगे, सोचना, वक़्त की आवश्यकता है। कई देशों ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
उपाध्याय ने कहा है कि मानवता व राष्ट्र हित में अविलम्ब इस विपत्ति का समाधान किया जाना चाहिये।