नैनीताल। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार के देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए निस्तारित कर दिया है। मामले के खारिज होने से स्वामी को झटका लगने के साथ ही सरकार को बड़ी राहत मिली है। इस मामले में रूलक संस्था के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने माना है कि राज्य सरकार के चार धाम प्रबंधन अधिनियम 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 व 31ए का उल्लंघन नहीं माना है। वहीं उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के अधिनियम में दो बदलाव करने को भी कहा है, जिसके अनुसार मंदिरों का स्वामित्व अधिनियम के तहत देवस्थानम बोर्ड में नहीं रहेगा, बल्कि चार धाम का होगा। बोर्ड मंदिरों का केवल प्रबंधन देखेगा।
मामले के अनुसार भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा चारधाम के मंदिरों के प्रबंधन को लेकर लाया गया देवस्थानम् बोर्ड अधिनियम असंवैधानिक है। देवस्थानम् बोर्ड के माध्यम से सरकार द्वारा चारधाम व 51 अन्य मंदिरों का प्रबंधन लेना संविधान के अनुच्छेद 25 व 26 का उल्लंघन है। पूर्व में तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल व महाराष्ट्र आदि राज्यों ने भी इस तरह के निर्णय लिए थे। जिन पर सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णय पहले से ही आ चुके हैं। उन्होंने अपनी जनहित याचिका में यह भी प्रार्थना की है कि जब तक इसमें कोर्ट से कोई निर्णय नही आ जाता सरकार कोई अग्रिम कार्यवाही न करे। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस जनहित याचिका के दायर होने के कुछ ही समय बाद सीईओ नियुक्त कर दिया था।