हाईकोर्ट ने देहरादून में नदी, नालों और गदेरों से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए

नैनीताल। हाईकोर्ट में देहरादून में जल धाराओं, जल स्रोतों, पर्यावरण संरक्षण समेत नदियों में मंडरा रहे खतरे और पर्यावरण संरक्षण को लेकर दायर तीन जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नदी एवं पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए । सुनवाई में राज्य सरकार के प्रमुख वन सचिव आरके सुधांशु, सचिव शहरी विकास नितेश झा और राजस्व विभाग के सचिव आर राजेश पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। सचिव वन ने कोर्ट को अवगत कराया कि अभी तक पूर्व के आदेशों का किन्ही कारणों से अनुपालन नहीं हो सका है। इसलिए कोर्ट के पूर्व के आदेशों का अनुपालन कराने के लिए संबंधित विभागों को चार हफ्ते का समय दिया जाए। क्योंकि, अभी वित्तीय वर्ष का आखिरी सप्ताह चल रहा है। जिस पर कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। साथ ही उन्हें भी वीसी के जरिए कोर्ट में पेश होने को कहा। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि नदी, नालों और गदेरों में जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है, उसे हटाया जाए। उस जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाए। इनको भी उसी तरह से सीसीटीवी लगाकर मैनेज किया जाए, जैसे सड़कों के दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों को किया जाता है।कोर्ट ने डीजीपी से कहा है कि वे संबंधित एसएचओ को आदेश जारी करें कि जहां-जहां ऐसी घटनाएं होती हैं, वहां-वहां अतिक्रमणकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर रिपोर्ट पेश करें। कोर्ट ने सचिव शहरी विकास से भी कहा कि वे प्रदेश के नागरिकों में एक संदेश प्रकाशित करें कि नदी-नालों और गदेरों में अतिक्रमण, मलबा और एवं खनन न करें. जिसकी वजह से मानसून सीजन में किसी तरह की दुर्घटना न हो। इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें। अब इस पूरे मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।