जाख देवता के पश्वा ने धधकते अंगारों पर किया नृत्य

रुद्रप्रयाग। केदारघाटी के रक्षक जाख देवता ने अपने पश्वा पर अवतरित होकर कई टन सूखी लकड़ी के धधकते अंगारों पर नृत्य किया और हजारों भक्तों को सुख-समृद्धि का अशीर्वाद दिया। इस मौके पर पूरा क्षेत्र आराध्य जाख देवता के जयकारों से गूंज उठा। देर शाम को जाख देवता की भोग मूर्तियों को देवशाल गांव स्थित विंध्यवासीनी मंदिर में विराजमान कर दिया गया। परंपरानुसार मंगलवार को बैसाख माह की दो गते जाख देवता के पश्वा सच्चिदानंद पुजारी व अन्य देवभक्त पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ नारायणकोटी मंदिर चौक में पहुंचे। यहां पर ग्रामीणों द्वारा देव पश्वा और भक्तों का स्वागत किया गया। इसी दौरान पश्वा सच्चिदानंद पुजारी द्वारा ग्रामीण प्रकाश राणा के गले में माला डाली गई, जिससे देवता उन पर अवतरित हुये। यहां से सभी श्रद्धालु कोठेड़ा गांव होते हुए विंध्यवासीनी मंदिर के रास्ते जाख देवता मंदिर में पहुंचे। यहां पर पूजा-अर्चना के बीच अपराह्न 3 बजे 12 से अधिक ढोल-दमाऊं की थाप और अन्य वाद्य यंत्रों की गूंज से आराध्य जाख देवता का आह्वान किया गया। देव मंत्रों व शक्तियों के आह्वान पर जाख देवता अपने नये पश्वा प्रकाश सिंह राणा पर अवतरित हुए और धधकते हुए अंगारों पर नृत्य करने लगे। इस दुर्लभ दृश्य के साक्षी बने हजारों श्रद्धालु की जयकार से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। आराध्य यक्षराज जाख देवता ने अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया। पुजारियों द्वारा भक्तों द्वारा यज्ञकुंड की राख का तिलक लगाया गया। साथ ही प्रसाद रूप में भी वितरित किया गया। शाम पांच बजे पुजारियों द्वारा जाख देवता की भोग मूर्तियों को कंडी में विराजमान किया गया और देवशाल गांव स्थित विंध्यवासीनी मंदिर में विराजमान किया गया। इससे पूर्व सोमवार रात्रि को जाख देवता मंदिर में आराध्य की चार पहर की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही स्थानीय महिला व युवक मंगल दलों ने रातभर कीर्तन-भजन का आयोजन किया।