बिजली की बढ़ती दरों पर लगे अंकुश

देहरादून । राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस ने उत्तराखंड में बिजली की दरों में अंकुश लगाने की मांग को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते राज्य में आय का प्रमुख स्रोत पर्यटन व्यस्थाएं आज बदहाल हैं। जिसके चलते राज्य में पर्यटन से जुड़े होटल व्यापारी , ट्रांसपोर्टर, रेस्टोरेंट संचालक आर्थिक संसाधनों से वंचित हैं। औद्योगिक स्तर पर इकाइयां या तो बंद हो रही हैं या फिर पुनः प्रारम्भ ही नहीं हो पाई। इन हालात में जब राज्य की समस्त जनता आर्थिक स्तर पर आपात हालात का सामना कर रही है इन हालात में राज्य में पुनः बिजली दरों में वृद्धि जनता पर किसी कुठाराघात से कम नहीं।
इसे राज्य का दुर्भाग्य कहें कि राज्य निर्माण के बीस वर्षों के उपरांत भी ये अवधारणा जमीन पर ना उतर सकी, जिसका खामियाजा दरों में निरंतर वृद्धि के चलते राज्य की समस्त जनता भुगत रही है। वृद्धि रूपी शोषण की ये परंपरा निरंतर 20 वर्षों के उपरांत आज भी चालू है। किसी भी राज्य में व्यापारी, किसानों तथा किसी भी परिवार हेतु बिजली तथा पानी मूलभूत जरूरत है। किंतु वर्तमान आपातकाल में जहाँ आम आदमी आर्थिक रूप से कमजोर हैं, मुश्किल से अर्जित आय का अधिकतर हिस्सा मंहगाई एवं बिजली एवं पानी के बिलों को चुकाने में जा रहा है। इसे नीतियों का फर्क कहें या अव्यवस्थाओं का चरम की उत्तराऽंड में पैदा हुई बिजली तथा पानी महंगी दरों पर उत्तराखंड की जनता को वितरित किया जा रहा है। राज्य की जनता लगातार राज्य सरकार से बिजली पानी के बिलों का माफ करने हेतु गुहार लगा रही थी, किन्तु इसके विपरीत कम करने के बजाय दरों में वृद्धि जनता के प्रति तंत्र की असंवेदशीलता को दर्शाता है। आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते राज्य में अवसाद ग्रस्त हो आत्महत्या जैसी दुर्भग्यपूर्ण घटनाओं का दौर जारी है।