लाखों की कार्य योजना प्रस्तुत की
देहरादून। सतत् कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत आयोजित बैठक में कृषि, उद्यान एवं रेशम विकास मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा विभागों को प्रभावी निर्देश दिये गये। इसमें मिशन का मुख्य उद्देश्य स्थान विशेष की आवश्यकतानुसार एकीकृत फसल पद्धति, जल संरक्षण कार्यों व मृदा स्वास्थ्य प्रबन्धन के माध्यम से मृदा पोषक तत्व प्रबंधन, जल उपयोग दक्षता तथा कृषि विविधीकरण से कृषि को अधिक उत्पादक, सतत् लाभकारी व बदलती जलवायु के अनुकूल बनाते हुए उत्पादन में निरन्तरता एवं स्थिरता बनाये रखना है। (वर्षा आधारित क्षेत्र विकास के वर्ष 2019-20 के 52 कलस्टर्स मध्ये 16 पूर्ण कर लिये गये हैं। इसके अतिरिक्त 22 नये कलस्टर्स का चयन पर 2020-21 में 58 कलस्टर्स के लिए रू. 1103.96 लाख की कार्य योजना प्रस्तुत हुई। कृषि मंत्री द्वारा निर्देश दिये गये कि एकीकृत फसल प्रणाली के अन्तर्गत कार्य योजना सम्बन्धित विभागों यथा डेयरी, पशुपालन, मत्स्य पालन, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, वानिकी विभाग के सहयोग से तैयार कर मुख्य विकास अधिकारी स्तर से अनुमोदन लिया जाय। कलस्टरों का चयन वैली वॉईज किया जाये तथा कार्य योजना का क्रियान्वयन के फलस्वरूप प्रति इकाई उत्पादकता में वृद्धि तथा कृषकों की आय का आंकलन किया जाये तथा उत्पादन गुणवत्ता युक्त होना चाहिए। अवगत कराया गया कि कार्ययोजना विभिन्न विभागों के समन्वय से जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें कि मुख्य विकास अधिकारी तथा सम्बन्धित विभागों के अधिकारी भी सदस्य होते हैं के अनुमोदन के पश्चात ही कार्ययोजना प्रस्तावित की जाती है। बैठक में परम्परागत कृषि विकास योजना पर भी चर्चा हुई। इसमें वर्ष 2018-19 से 3900 क्लस्टर में योजना की गाइडलाइन के अनुसार कृषि, उद्यान, रेशम, कैप व जैविक उत्पाद परिषद कार्य कर रहे हैं। तीनों योजनाओं (वर्षा आधारित क्षेत्र विकास मृदा स्वास्थ्य कार्ड एवं परम्परागत कृषि विकास योजना) लगभग 149 करोड की कार्ययोजना को अनुमति प्रदान की गई। (पी.के.वी.वाई) गाइडलाइन के तहत जैविक उत्पादों के विपणन हेतु चारधाम यात्रा मार्ग एवं पर्यटक स्थलों पर रिटेल आउटलेट भी तैयार किये जायेंगे।
वर्ष 2020–21 के लिए राज्य में उत्पादित सेब (सी-ग्रेड) फल का न्यूनतम क्रय समर्थन मूल्य के प्रस्ताव पर सहमति दे दी गई है। इस वर्ष के लिए इसे 09 किग्रा० निर्धारण पर राज्य के उद्यान, खाद्य प्रसंस्करण रेशम एवं कृषि मंत्री (सुबोध उनियाल) द्वारा इस आशय के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान की गई है। इस योजना का पूर्ववत् राज्य के दोनों मण्डलों में सेब उत्पादक जनपदों में क्रियान्वयन किया जायेगा। इन क्षेत्रों में फल एवं स्थानीय उत्पादों की निर्बाध आवक बनाये रखने के उददेश्य से लोक निर्माण विभाग एवं सीमा सड़क संगठन को भी निर्देशित किये जाने पर सहमति प्रदान की गई।