दशकों बीत गए, नहीं सुधर पाई चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सवाएं

हरिद्वार। हरिद्वार देश की प्राचीन आध्यात्मिक नगरी कहलाता है। यहां आये दिन धार्मिक उत्सव, मेले, स्नान एवं पर्व आयोजित होते है। जिनमे देश के कोने कोने से लोग गंगा स्नान के लिए इस पवित्र नगरी मे आते है। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ0 शिव कुमार चैहान की माने तो देश की चार धाम यात्रा का प्रवेश द्वार हरिद्वार ही कहलाता है। ऐसे मे हरिद्वार नगरी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की दरकार हमेशा से रही है। लेकिन एक लम्बा कालखण्ड गुजरने के बाद भी यहां स्वास्थ्य की सुविधाये सामान्य सुविधा के अनुसार ही बनी हुई है। वैश्विक महामारी के समय मे भी यहां अच्छी टेस्टिंग सुविधा, चिकित्सा के बेहतर उपकरण एवं चिकित्सकों का अभाव रहता है। किसी भी आपात स्थिति का सामना करने के लिए देहरादून, जौलीग्रांट, मेरठ अथवा दिल्ली, चण्डीगढ मरीजों को उपचार के लिए जाना पडता है। राज्य बनने के दो दशक के बाद भी सरकार तथा जन प्रतिनिधियों को इसकी जरूरत महसूस नही देती है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति भी संतोष जनक नही है। आये-दिन यहां ओ0पी0डी0, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे जैसी सामान्य सुविधाएं बंद रहने की जानकारी समाचार पत्रों एवं अन्य पीडित परिवारों से मिलती रहती है। ऐसे मे जहां कुंभ मेले की तैयारियों के सापेक्ष सुविधाओं को बढाने की दिशा मे कार्य हो रहे है। वही हरिद्वार को भी आधुनिक स्वास्थ्य ढांचे के अन्तर्गत बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं एवं चिकित्सकों की आवश्यकता है। जिससे यहां के नागरिकों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाये हरिद्वार में ही सुलभ हो सके तथा अन्य राज्य तथा शहरों की स्वास्थ्य सुविधाओं से होने वाली असुविधाओं से निजात मिल सके।

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