पुलिस हिरासत से मुर्गा हुआ रिहा
नई दिल्ली। दुनिया निराली है और यहां कई किस्से ऐसे सामने आते हैं जिससे लोग अजरच में पड़ जाते हैं। ंऐसा ही वाक्य हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में सामने आया हैं। यहां एक मुर्गे को अदालत ने पुलिस हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत के ज़िला घोटमी में एक स्थानीय अदालत ने पुलिस की हिरासत में रह रहे एक मुर्ग़े को रिहा कर उसके मालिक के हवाले करने का आदेश दिया है। सिंध के दो थानों में पाँच मुर्ग़े पुलिस के मेहमान बने रहेए जिनमें से एक को अब रिहाई मिल गई है। पुलिस ने उन्हें मुर्ग़ों की लड़ाई के खेल पर छापेमारी के दौरान खेल में शामिल लोगों के साथ हिरासत में लिया था। पिछले दिनों घोटकी के स्थानीय निवासी ज़फ़र मीरानी ने सिविल जज की अदालत में अपील की थी कि पुलिस की हिरासत में रह रहे मुर्ग़े को रिहा कर उन्हें सौंप दिया जाए। अपीलकर्ता की दलील थी कि किसी निजी काम से वो कराची में रह रहे थे। इसलिए मुर्ग़े के मालिक होने का दावा नहीं कर सके थे। अदालत ने ज़फ़र मीरानी की अपील स्वीकार कर ली और पुलिस को आदेश दिया कि वो मुर्ग़े को उनके हवाले कर देंण् पुलिस ने अदालत के आदेश का पालन किया। थाना प्रभारी का कहना है कि अभियुक्त तो ज़मानत पर रिहा हो गए थे लेकिन ये मुर्गा केस प्रापर्टी की हैसियत से पुलिस के पास रह गए थे और जब तक अदालत इन पर कोई फ़ैसला नहीं करती तब तक उन मुर्ग़ों को सही.सलामत रखने की ज़िम्मेदारी थाने की थी। थाने में उन मुर्ग़ों को लॉकअप या मालख़ाने में नहीं रखा गया था। बल्कि उन्हें खुली जगह में रखा गया था, लेकिन उनकी टांग में रस्सी बांध दी गई थी,लेकिन पुलिस की मुश्किल ये है कि ये मुर्ग़े रोज़ाना क़रीब सौ रुपए का बाजरा खा जाते हैं और पुलिस को ये पैसे अपनी जेब से देने पड़ते हैं। थाने के एक अधिकारी को इन मुर्ग़ों की देख.भाल की ज़िम्मेदारी दी गई है और अगर वो बीमार पड़ते हैं तो उन्हें लाइवस्टॉक विभाग के डॉक्टर को दिखाया जाता है। एक पुलिसकर्मी के अनुसार इन मुर्ग़ों को बिल्ली और कुत्तों से भी बचाना उनकी अहम ज़िम्मेदारी का हिस्सा है क्योंकि अगर उन्हें कोई नुक़सान पहुंचता है तो अदालत नाराज़गी का इज़हार कर सकती है। गौरतलब है कि पुलिस ने कुछ महीने पहले इन मुर्ग़ों को क़रीब दो दर्जन लोगों के साथ हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए सभी व्यक्ति तो ज़मानत पर रिहा हो गए लेकिन इन मुर्ग़ों के मालिकाना हक़ की दावेदारी किसी ने नहीं की थी, लेकिन चूंकि एफ़आईआर में इन मुर्ग़ों का ज़िक्र था इसलिए ये मुर्ग़े केस प्रोपर्टी की शक्ल में दर्ज हो गए और थाने में ही रह गएण् पुलिसकर्मियों के अनुसार मुर्ग़े जब बांग देते हैं तो उन लोगों को बहुत परेशानी होती है। पाकिस्तान में इसे अपराध क़रार दिया गया है जिसके लिए एक साल तक की सज़ा हो सकती है और 500 रुपये का जुर्माना लग सकता है।