दून में लोकल राखियों की धूम, चाइनीज को ना

देहरादून। भाईबहन के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन पर बाजारों में इस बार पहले की जैसी चहल पहल नहीं दिखाई दी। कोरोना के चलते राखियों से दुकानें तो सजी हुई हैं, लेकिन बाजार में ग्राहकों की कमी बनी रही। वहीं इस बार मिठाइयों की दुकानों में भी पहले की जैसी भीड़भाड़ नहीं रही। सोमवार को रक्षा बंधन का पर्व है तो बहनें रविवार को अपने भाइयों के लिए रंग बिरंगी राखियां खरीद रही है। अधिकांश बहनें अपने भाइयों के लिए नए फैशन की राखियां खरीदने में लगी हुई हैं। खास बात यह है कि अबकी बार दुकानों में चाइनीज राखियां नहीं दिखाई दी। इस बार बहनों के साथ ही दुकानदारों ने भी चाइनीज राखियों को नकार दिया है। इस बार पहले के जैसे ही भारत की राखियां बाजारों में छाई हुई है। बाजारों में इस बार चंदन के साथ ही मोरपंख से बनी लोकल राखियां बाजारों म उपलब्धं है।
रक्षाबंधन के लिए बाजार में इस बार लोकल और नए पैटर्न की राखियां बाजार में आई हैं। इनमें बड़ों के लिए बटरफ्लाई और बच्चों के लिए सुपर हीरो और खिलौने वाली राखियां शामिल हैं। इस बार बाजार में डिजाइन राखी की थालियां भी उपलब्ध हैं। इन थाली पैक में भगवान गणेश जी की मूर्ति, राखी, चॉकलेट, रोली, चावल, धूप, अगरबत्ती, माचिस हैं। बच्चों को लुभाने के लिए उनके मनवसंद काट्र्रून के साथ ही नोटों वाली राखियां मौजूद ह,ै जिन्हें बहनों द्वारा खूब पसंद की जा रही हैं। इस बार दिल्ली, कोलकाता, फरीदाबाद की राखियां बाजारों में धूम मचा रही हैं। युवा वर्ग के लिए मोती और मैटल की राखियां बाजारों में उपलब्ण है जिन्हें बहनों को बेहद पसंद आ रही हैं । वहीं छोटे भाइयों के लिए बहनें चॉकलेट, नोट, मोटू.पतलू, डोरेमोन और लाइटिग, म्यूजिक वाली राखियां खरीद रही हैं। बाजार में 10 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की राखियां उपलब्ध है। व्यापारियों के अनुसार इस बार कोरोना ने बाजार की रौनक छीन ली है और बाजारों में बहुत ही कम चहल पहल है। व्यापारियों ने कहा कि बाजार की रौनक ग्राहकों से होती है, लेकिन इस बार ग्राहक ही नहीं है तो बाजारों में रौनक कहां से होगी।

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