डीडी पंत को जन्मदिन पर किया नमन

देहरादून। उत्तराखंड क्रान्ति दल ने अपने प्रथम अध्यक्ष व महान वैज्ञानिक स्व डॉ देवी दत्त पंत की 101 वीं जन्मदिन पर उन्हें श्रधांजलि दी। इस मौके पर गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। गोष्टी में पंत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने कहा कि डॉ डीडी पंत का जन्म 14 अगस्त 1919 को गंगाली पिथौरागढ़ में वैद्य अम्बा दत्त पंत के यहां हुआ। पंत ने सन 1936 व 1938 में हाई स्कूल व इंटरमीडिएट अल्मोड़ा से करने के बाद हिन्दू विश्वविद्यालय बनारस से बीएससी व एमएससी किया। हिन्दू विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर आसुंदी के निर्देशन में पीएचडी की। अपने आगे के शोध देश के प्रथम नोबल पुरस्कार सीवी रमन के दिशा निर्देश में किया। पंत आगरा यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता भी रहे। 1971.72 में शिक्षा निदेशक रहने के बाद गोविंदबल्लभ कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंत नगर में डीन रहे। 1973 में पंत जी कुमाऊँ विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति बने। व्यक्तित्व के धनी पंत हमेशा सम्मान और प्रतिष्ठा से सैकड़ों दूर रहे। उत्तराखंड के पहाड़ का दर्द व समझते थे। पहाड़ का सर्वांगीण विकास कैसे होगा, पहाड़वासी उत्तराखंड के व्यक्ति का आर्थिक विकास की सोच को लेकर ’24,.25 जुलाई 1979 को उक्रांद की स्थापना हुई तो उन्हें दलका अध्यक्ष चुना गया। राजनीतिक एजेंडा के रूप में सर्बप्रथम डॉ डी डी पंत की अगुवाई में ही उक्रांद ने पृथक राज्य की मांग उठाई और उत्तराखंड राज्य आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने ही सर्व प्रथम कहा था कि राज्य का पानी और जवानी को बचाना होगा, यह अपने काम नही आता, इसे रोकना है। वक्ताओं नक कहा कि उनकी एक वैज्ञानिक की दूरदृष्टि ही थी जिसने सब कुछ छोड़कर राज्य की परिकल्पना की, हमें उस शख्शियत के उद्देश्यों को पूरा करने का संकल्प लेना चाहिये। इस अवसर पर एपी जुयाल, लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, विजय बौड़ाई, बहादुर सिंह रावत, प्रताप कुँवर, जयप्रकाश उपाध्याय, जयदीप भट्ट, धर्मेंद्र कठैत, सुरेंद्र बुटोला, अशोक नेगी, राजेश्वरी रावत, नवीन भदूला, किरण रावत कश्यप, भगवती डबराल आदि थे।

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