आडू में छिपा है सेहत का खजाना

- प्रीती नेगी
देहरादून। आड़ू एक ऐसा फल है जो उत्तराखंड के हर भू भाग में पाया जाता है। इसकी कई प्रजातियां पाई जाती हैं। आडू दिखने में भले ही छोटा हो लेकिन यह गुणों में भरा होता है। यह मानव शरीर में होने वाले कई बीमारियों को रोकने में सहायक होता है।आडू चीन से आया और आज पूरी दुनिया में इसकी खेती की जाती है। वानस्पतिक नाम इसका प्रूनस पर्सिका हैं आडू स्वादिष्ठ और रसदार होता है, इसकी कई प्रजाति बारामास भी होती है। जेठ , सावन, भादौ के महीने में आलू अपनी लालिमा बिखेरता हैं। पर्वतीय क्षेत्र में छोटे और बड़े दाने के आडू की पैदावार होती है। कहा जाता है कि इस फल की खेती सबसे पहले चीन ने की थी। आडू स्वादिष्ठ होने के साथ ही इसमें प्रोटीन, मिनरल्स, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाई जाते हैं। यह सेहत के लिए लाभकारी होता है। इस फल की सबसे अधिक बागवानी हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड में की जाती है। आडू खाने से त्वचा अच्छी और मोटापा कम होता है। रसभरा फल सेहत के लिए अत्यधिक फायदेमंद हैं। मानसून में होने वाले इंफेक्शन से बचाने के साथ ही आड़ू पाचन तंत्र को अत्यधिक मजबूत रखने का काम भी करता है।आड़ू खाने से हड्डियां बहुत मजबूत होती हैं। जिन लोगों के हाथों.पैरो में अत्यधिक दर्द रहता है उनको प्रतिदिन आड़ू का सेवन करना चाहिए। आड़ू खाने से महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बहुत कम होता है। इसके साथ ही यह गठिया रोग से भी बचाता है। आड़ू में पाए जाने वाले गुण पांचन तंत्र को मजबूत करने का काम करता है। जिन लोगों को पेट से संबंधित समस्याएं रहती है उन्हें दिन में कम से कम एक बार तो 3 से 4 आड़ू अवश्य खाने चाहिए। आड़ू में एंटी.ऑक्सीडेंट बहुत ही भरपूर मात्रा में होता है। प्रतिदिन आड़ू खाने से दिल मजबूत होता है। ब्लड प्रेंशर कंट्रोल होने के साथ ही आंखों से संबंधित समस्याएं भी कम होती है। आड़ू में बहुत सारी कैलरी होती है। अगर आप इसको नाश्ते में खाते हैं तो लंच टाइम तक आपको भूख नहीं लगती है। भूख बहुत ही कम लगती है तो आपको कुछ खाने की जरूरत नहीं होती। इस तरह वजन कंट्रोल में रहता है।आडू में पाए जाने वाले मुख्य तत्व कैंसर कोशिकाओं के निर्माण और उन्हें बढ़ने से रोकते हैं। आड़ू में कैरोटीनॉयड और कैफिक एसिड पाए जाते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं। ये दोनों कैंसर की रोकथाम में कारगर होते हैं। आड़ू में पॉलीफेनॉल्स भी पाए जाते हैं, जो ट्यूमर को कैंसर में परिवर्तित नहीं होने देते। आड़ू स्वस्थ कोशिकाओं को सुरक्षा प्रदान कर कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है।आड़ू में विटामिन.ए, सी और कैरोटीनॉयड्स पाए जाते हैं, जो ग्लूकोमा को दूर करते हैं। साथ ही ये स्वस्थ आंखों के लिए आवश्यक घटक हैं। प्रतिदिन एक आड़ू खाने से ग्लूकोमा के साथ ही कई बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। आड़ू में मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा होती है। यह तंत्रिका तंत्र को शांत रख तनाव को कम करने में मदद करता है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार मैग्नीशियम की कमी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के कामकाज को प्रभावित कर सकती है। इस प्रकार आड़ू के प्रयोग से मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के द्वारा दिए जाने वाले संकेतों की गतिविधि बढ़ जाती है और वो सही तरीके से अपना काम करते हैं। आड़ू के अंदर जिंक की मात्रा भी पाई जाती है, जिसमें एंटी.एजिंग यानी बुढ़ापे को रोकने के गुण होते हैं। वैज्ञानिक शोध के अनुसार आड़ू जैसे जिंक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है और मुक्त कणों से कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाता है। हिस्टामाइन शरीर की रक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं जो खुजली, खांसी और एलर्जी जैसे लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक अनुसंधान से पता चला है कि आड़ू रक्त में हिस्टामाइन के स्तर को बेहतर कर एलर्जी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा आड़ू का अर्क एलर्जी के कारण शरीर में आने वाली सूजन को कम कर सकता है। आड़ू में विटामिन.सी होता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। साथ ही यह हानिकारक संक्रमणों से भी बचाव करता है। आड़ू पराबैंगनी विकिरण के खिलाफ त्वचा पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है। आड़ू में मौजूद फ्लेवोनोइड्स आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता हैं। साथ ही त्वचा को हाइड्रेट रखता हैं। आड़ू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण काले धब्बे जैसी समस्याओं को तेजी से ठीक करता है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन.सी झुर्रियों को कम करके त्वचा की बनावट में सुधार कर सकता है। साथ ही सूरज और प्रदूषण के कारण त्वचा को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है।