सिंगोली-भटवारी हाइडल पावर प्‍लांट के टरबाइन घूमे

देहरादून। देश के अग्रणी ईपीसी प्रोजेक्‍ट्स, मैन्‍यूफैक्‍चरिंग, डिफेंस एवं सर्विसेज समूह, लार्सेन एंड टुब्रो ने 99-मेगावाट के सिंगोली-भटवारी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्‍लांट शुरू किये जाने के लिए 100 प्रतिशत तैयारी पूरी होने की घोषणा की। प्रसिद्ध चारधाम मार्ग पर स्थित और सालाना 400 मिलियन यूनिट्स नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता वाले, इस जल-विद्युत संयंत्र के चालू होने से राज्‍य को काफी बल मिलेगा। रूद्रप्रयाग से लगभग 25 किमी. दूर स्थित, यह संयंत्र उखीमठ के पास मध्‍यम-आकार के जलग्रहण तालाब वाले एक बांध, 12 किमी. लंबी हेडरेस सुरंग और 180-मीटर से अधिक गहरे सर्ज शैफ्ट से जुड़ा है और इसके साथ पुनर्वास एवं पुनर्वासन संबंधी कोई भी समस्‍या नहीं है। इस प्‍लांट में 33 मेगावाट वाले तीन-तीन वॉयथ टर्बाइन जेनरेटर्स की इकाइयां हैं जो उत्‍कृष्‍ट स्विचयार्ड से लैस हैं। यह नवीनतम सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (एससीएडीए) टेक्‍नोलॉजी द्वारा नियंत्रित है। एससीएडीए सिस्‍टम्‍स को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है, ताकि प्‍लांट एवं इसके उपकरण जैसे कि टेलीकम्‍यूनिकेशंस, वाटर एवं वेस्‍ट कंट्रोल की स्‍वचालित रूप से निगरानी एवं नियंत्रण हो सके, जिससे तुरंत निर्णय लिये जा सकें व संबंधित कदम उठाये जा सकें। यह न्‍यूनतम उत्‍पादन लागत पर निर्बाध विद्युत आपूर्तिउपलब्‍ध करायेगी।

यही नहीं, यह प्‍लांट दिन के दोनों अर्द्धांशों में से प्रत्‍येक में 2½ घंटों का पीक डिमांड लोड भी उठायेगा, जिससे गैर-मानसूनी महीनों में भी राहत मिल सकेगी और बीजली की अधिकतम मांग की आवश्‍यकता पूरी की जा सकेगी। वेट कमिशनिंग की प्रक्रिया बिना विद्युतोत्‍पादन के आरंभिक टर्बाइन्‍स की मशीन घूमने और विद्युत की आपूर्तिके लिए ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइजेशन और विधिवत जांच के साथ शुरू हो गई। ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन और ट्रांसमिशन लाइंस की चार्जिंग अनुमानत: एक महीने में पूरी हो जायेगी और संयंत्र के उद्घाटन के साथ इसका समय तय है। इस अवसर पर प्रतिक्रिया देते हुए, लार्सेन एंड टुब्रो के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक एस एन सुब्रह्मण्‍यनने कहा, कि हमने एक बार फिर से दुर्गम भूभागों, मानसूनी लहरों, प्राकृतिक आपदाओं जैसी विकट कठिनाइयों के बीच अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है और गढ़वाल हिमालय में इस आधुनिक हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्‍लांट को सफलतापूर्वक शुरू किया है। उत्‍तराखंड राज्‍य की विकास आवश्‍यकताओं के मद्देनजर, यह संयंत्र इस क्षेत्र को आत्‍मनिर्भर बनाने की दिशा में एक प्रमुख ढांचागत तत्‍व होगा जिसका सपना केंद्र एवं राज्‍य सरकारों ने देखा है। एल एंड टी के पूर्णकालिक निदेशक और सीनियर ईवीपी डीके सेन ने कहा, ”हमारी  टीमों ने निर्माण कार्यों के लिए सुरंगों की खुदाई के दौरान निकले अपशिष्‍ट पदार्थों का पुनरुपयोग करके पर्यावरण को कम से कम प्रभावित किया है। इसके अलावा, ये क्षेत्र के पर्यावरणीय और सामाजिक विकास के कार्यों में भी जुटी हैं। हमें इस पहाड़ी क्षेत्र के लिए सड़कों एवं पूलों जैसे सार्वजनिक ढांचों का निर्माण करने, पानी के लिए पाइपलाइन्‍स बिछाने और शैक्षणिक एवं खेलकूद गतिविधियों में सहयोग देने पर गर्व है। उत्‍तराखंड पिछले 5 वर्षों में विद्युत ऊर्जा आवश्‍यकता के मामले में सबसे तेजी से बढ़ने वाले राज्‍यों में से एक है और यह भविष्‍य में भी अपनी ऊर्जा आवश्‍यकता को बनाये रखेगा।

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