कालेज़ की समस्याएं हल न होने पर छात्रों में आक्रोश

ऊखीमठ। राजकीय महाविद्यालय विद्यापीठ में फैली समस्याओं का निराकरण न होने पर छात्र संघ ने आन्दोलन की चेतावनी दी है। छात्र संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि महाविद्यालय की समस्याओं से फरवरी माह में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री को अवगत कराकर निराकरण की मांग की गयी थी मगर सात माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी एक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है। छात्र संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि राजकीय महाविद्यालय विधापीठ केदार घाटी का एकमात्र सीमांत महाविद्यालय होने के कारण जहाँ महाविद्यालय को सीमांत क्षेत्र का महाविद्यालय होने के नाते सभी सुविधाओं से समपन्न होना चाहिए था वही बी ए प्रथम वर्ष में क्षेत्रीय मानको के अनुसार सीटे कम होने से अधिकांश नौनिहालों को दाखिला नहीं मिल पा रहा है। छात्रसंघ अध्यक्ष अंजलि पंवार ने बताया कि उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा राजकीय महाविद्यालय विधापीठ में बी ए प्रथम वर्ष के लिए मात्र 131 सीटों की स्वीकृति दी गयी है जबकि सम्पूर्ण केदार घाटी के 250 से 120 तक नौनिहाल प्रवेश पाने के लिए आवेदन करते हैं लेकिन सीटें कम होने के कारण अधिकाश नौनिहाल प्रवेश पाने से वंचित रह जाते हैं, छात्र संघ महासचिव रक्षित बगवाडी का कहना है कि शिक्षा निदेशालय द्वारा इस महाविद्यालय में हिन्दी, अंग्रेजी, समाज शास्त्र, संस्कृत, राजनीति शास्त्र तथा अर्थ शास्त्र विषयों की स्वीकृति दी गयी है और यदि उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा भूगोल, इतिहास, दर्शन शास्त्र सहित अन्य विषयों की स्वीकृति दी जाती है तो सीटों में इजाफा हो सकता है तथा केदार घाटी के सभी इच्छुक नौनिहालों को प्रवेश मिल सकता है। उपाध्यक्ष अभिषेक शुक्ला ने बताया कि आगामी सत्र से बी कांम की कक्षायें संचालित होने वाली है तथा महाविद्यालय प्रशासन द्वारा बी कांम में प्रवेश चाहने वाले नौनिहालों के लिए गणित व वाणिज्य विषयों को अनिवार्य माना गया है जबकि केदार घाटी में इण्टरमीडिएट तक कला वर्ग के नौनिहालों अधिक होते है ऐसी स्थिति में बी काॅम में भी कई नौनिहाल प्रवेश से वंचित रह सकते है! कोषाध्यक्ष राखी भटट् का कहना है कि महाविद्यालय के पुस्तकालय में भी पुस्तकों का अभाव होने का खमियाजा भी नौनिहालों को भुगतान पड रहा है। सह सचिव नीरज शाह, विवि प्रतिनिधि सौरभ भटट्, आर्यन छात्र संगठन जिलाध्यक्ष अंकित राणा, प्रदेश प्रवक्ता रोविन रावत, प्रदेश सचिव लवीश राणा का कहना है कि यदि समय रहते महाविद्यालय की समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ तो छात्रों को उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पडे़गा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन, उच्च शिक्षा निदेशालय व महाविद्यालय प्रशासन की होगी।

  • लक्ष्मण सिंह नेगी।
  • वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ

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