बाबा आदम के जमाने में जीने को मजबूर तोषी के वाशिंदे

ऊखीमठ। विकासखंड ऊखीमठ की सीमान्त ग्राम पंचायत तोषी के चहुंमुखी विकास में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बनने से गाँव आजादी के सात दशक बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जनपद के इस सीमान्त गाँव के ग्रामीणों की समस्याएं पहाड़ जैसी है।  इस  क्षेत्र में प्रकृति ने नेमते  बरसाई है, लेकिन,  राज्य के कर्ता, धर्ता इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे  पर्यटक यहां के प्राकृतिक  नजारों का दीदार नहीं कर पा रहे हैं। गाँव में होम स्टे योजना को बढावा देकर स्थानीय पर्यटन व्यवसाय को बढावा दिया जा सकता है। त्रियुगीनारायण से तोषी का पांच किमी पैदल सफर होने के कारण पर्यटक तोषी गाँव नहीं पहुंच पाता । प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार सेन्चुरी वन अधिनियम में ढील देकर पूर्व में स्वीकृत मोटर मार्ग का निर्माण करती तो तोषी गाँव में तीर्थाटन व पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देकर ग्रामीणों को स्वरोजगार की दिशा से जोड़ा जा सकता है।

तोषी गाँव के ग्रामीणों का जीवन अक्टूबर से फरवरी तक बड़ा कष्टकारी होता है।  इन महीनों में गाँव बर्फबारी से हिमाच्छादित रहता है। 65 परिवारों वाले तोषी गाँव आज भी यातायात, संचार,उच्च शिक्षा, पशुपालन, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। मामूली बीमारी की एक गोली दवाई के लिए ग्रामीणों को पांच किमी पैदल व उसके बाद 13 किमी का सफर वाहन से तय करने के बाद सोनप्रयाग  से लेनी पड़ती है। आठवीं  के बाद गाँव के नौनिहालों को नौवीं की शिक्षा ग्रहण करने के लिए पांच किमी दूर त्रियुगीनारायण आना पड़ता है, जबकि संचार युग भी ग्रामीणों को गाँव की ऊंची चोटियों में जाकर अपनों से सम्पर्क साधना पड़ता है। गाँव में आलू, राजमा, चौलाई की पैदावार बहुत अधिक होती है, मगर यातायात सुविधा के अभाव में ग्रामीणों को मेहनाता नहीं मिल पाता है। विगत दिनों जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी ने तोषी गाँव का भ्रमण कर ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं तथा ग्रामीणों को हर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमन्त तिवारी ने भी माना है कि त्रियुगीनारायण – तोषी पांच किमी के पैदल सफर में पेयजल संकट बना हुआ है। प्रधान तोषी जगत सिंह रावत ने बताया कि यदि तोषी गाँव को यातायात से जोड़ा जाता है तो अन्य मूलभूत सुविधाएं अपनी आप जुट सकती है। कनिष्ठ प्रमुख शेलेन्द्र कोटवाल ने बताया कि तोषी गाँव के ग्रामीणों की समस्याएं पहाड़ जैसी है।

प्रधान संगठन ब्लॉक अध्यक्ष सुभाष रावत ने बताया कि तोषी गाँव के ग्रामीणों की मुख्य आजीविका कृर्षि व पशुपालन है।  63 वर्षीय दर्शीनी देवी ने बताया कि अक्टूबर से फरवरी माह तक तोषी गाँव के ग्रामीणों का जीवन बड़ा कष्टकारी होता है, उन्होंने बताया कि गाँव लगभग 20 किमी दूर हिमालय की गोद में मयाली देवी का सिद्धपीठ है तथा वहाँ की यात्रा जुलाई अगस्त में की जा सकती है। ग्रामीण गीता राम सेमवाल ने बताया कि यदि तोषी – वासुकी ताल पैदल ट्रैक को विकसित किया जाता है तो तोषी गाँव में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है।

लक्ष्मण सिंह नेगी

वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

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