नाम से नहीं, काम से होगी नैया पार

देहरादून। सूबे की त्रिवेन्द्र सरकार अगले माह अपने शासन के तीन साल पूरे करने जा रही है। तीन सालों में क्या कुछ किया? और अब अगले शेष बचे दो साल में क्या किया जा सकता है? या क्या करना है? जैसे सवालों का जवाब तलाशने के लिए आज सीएम आवास पर मंत्रियों व विधायकों की बैठक में मथंन किया गया। दिल्ली के चुनावी नतीजों के मद्देनजर यह मथंन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। क्योंकि भाजपा समझ चुकी है कि 2022 में वोट काम पर ही मिलेगा नाम के सहारे उनकी नैय्या पार नहीं होने वाली है।
मंथन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उनकी सरकार द्वारा पलायन रोकने के लिए गठित किये गये पलायन आयोग को बड़ी उपलब्धि बताया है। बैठक में सीएम ने अपनी 57 फीसदी घोषणाओं पर काम किये जाने को भी उपलब्धि बताया गया। बैठक में सभी मंत्री और विधायकों के रिपोर्ट कार्ड चैक किये जा रहे है कि किसने क्या क्या किया और क्या क्या किया जाना शेष है तथा उनके काम करने में उन्हे किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, सभी कुछ शामिल है। हर एक मंत्री को अपना पक्ष रखने के लिए 15 मिनट का समय दिया गया है। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में जो वायदे किये गये थे उन पर कितना काम हुआ और अभी क्या क्या शेष है। मंत्रियों और विधायकों के साथ अधिकारियों का कैसा सामन्जस्य है। साथी ही सरकार के जो दो साल शेष बचे है उसमें क्या क्या काम किये जाने चाहिए? और किस काम को और अधिक बेहतर तरीके से किया जा सकता है? इसका खाका भी इस मंथन के जरिए तैयार किया जा रहा है। बैठक में मौजूद अधिकारी सभी सवालों को सूचीबद्ध कर रहे है तथा मुख्य सचिव इस पर अपनी विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार करेंगे। शाम तक चलने वाली इस मैराथन बैठक से क्या क्या निकलता है यह तो समय ही बतायेगा लेकिन विधायक व मंत्री इसे संवाद का जरिया जरूर मान रहे है। दिल्ली के चुनावी नतीजों के बाद इलैक्शन मोड पर आयी भाजपा सरकार सर्तक जरूर हो गयी है और वह 2022 के चुनाव में जाने से पहले जनता को दिखाने के लिए अपना रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में जुट गयी है क्योंकि उसे पता है कि इस बार नाम के सहारे नैय्या पार लगने वाली नहीं है चुनाव जीतना है तो काम भी करना पडे़गा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *