केदारनाथ के कपाट 16 नवम्बर को बंद होंगे

ऊखीमठ। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर व तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट बन्द होने की तिथियाँ विजयदशमी पर्व पर शीतकालीन गद्दी स्थलों में पंचाग गणना के अनुसार वेदपाठियो द्वारा देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारियों, कर्मचारियों व हक – हकूकधारियो की मौजूदगी में परम्परानुसार घोषित कर दी गयी । भगवान केदारनाथ के कपाट 16 नवम्बर को भैयादूज पर्व पर, द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट 19 नवम्बर को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट 4 नवम्बर को शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे। पंच केदार में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विजयदशमी पर्व पर पंचाग गणना के अनुसार भगवान तुंगनाथ के कपाट 4 नवम्बर को 11:30 बजे शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर  प्रथम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी। 5 नवम्बर को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर बनियाकुण्ड, दुगलविट्टा, मक्कूबैण्ड, डूण्डू, बनातोली होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए भनकुण्ड पहूंचेगी तथा 6 नवम्बर को भनकुण्ड से रवाना होकर अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मार्कडेय तीर्थ मक्कूमठ में विराजमान होगी।

भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विजयदशमी पर्व पर पंचाग गणना के अनुसार भगवान केदारनाथ के कपाट 16 नवम्बर को भैयादूज पर्व पर सुबह 8:30 बजे शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली कैलाश से रवाना होकर लिनचोली, भीमबली, जंगलचट्टी, गौरीकुण्ड, सोनप्रयाग, सीतापुर यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी। 17 नवम्बर को रामपुर से रवाना होकर शेरसी,बडासू,फाटा, मैखण्डा, नारायणकोटी , नाला यात्रा पड़ावों से होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी पहुंचेगी ।18 नवम्बर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से रवाना होकर विधापीठ, जारी होते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी।  पंच केदार में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट 19 नवम्बर को सुबह 7:30 बजे शुभ लगनानुसार शीतकाल के लिए बन्द कर दिये जायेंगे। कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने धाम से रवाना होकर मैखम्भा, कूनचट्टी, नानौ,खटारा, बनातोली होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी।  20 नवम्बर को गौण्डार गाँव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी तथा 21 नवम्बर को राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा,राऊलैक, बुरुवा, मनसूना होते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गाँव पहुंचेगी । 22 नवम्बर को ब्रह्म बेला पर गिरीया गाँव में श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण रूप के दर्शन करेगें। उसके बाद भगवान मदमहेश्वर की डोली गिरीया गाँव से रवाना होगी तथा फापज,सलामी होते हुए मंगोलचारी पहुंचेगी जहाँ पर रावल भीमाशंकर लिंग द्वारा परम्परानुसार डोली की अगुवाई कर सोने का छत्र अर्पित किया जायेगा, उसके बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्राह्मणखोली, डगवाडी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी। भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के ऊखीमठ आगमन पर एक दिवसीय भव्य मदमहेश्वर मेले का आयोजन किया जायेगा! इस मौके पर देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारी एन पी जमलोकी, राजकुमार नौटियाल, प्रधान पुजारी बागेश लिंग, पूर्व पुजारी राजशेखर लिंग, आचार्य हर्ष जमलोकी, पूर्व प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद भटट्, सतेश्वर प्रसाद सेमवाल, नवीन मैठाणी,पुष्कर रावत, देवी प्रसाद तिवारी, राम प्रसाद मैठाणी, प्रकाश पुरोहित, प्रकाश मैठाणी, विजय भारत मैठाणी, हरि वल्लभ मैठाणी, बृजमोहन मैठाणी, जीतपाल सिंह भण्डारी, दरवान सिंह चौहान सहित देव स्थानम् बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी व हक – हकूकधारी मौजूद थे।

लक्ष्मण सिंह नेगी।

वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *