पहाड में शिक्षा व्यवस्था दयनीय

उत्तराखंड बनने के 20 साल बाद भी पहाड बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है जैसे की शिक्षा उत्तराखंड को पहाडी राज्य का दर्जा हासिल है लेकिन यहां शिक्षा के क्षेत्र में पहाड की स्थिति दयनीय है। कही पर स्कूल है पर छात्र नहीं तो कहीं पर दूर, दूर तक कोई भी स्कूल ही नहीं है और जहां पर स्कूल है भी वहां पर सुविधाओं का भारी अभाव है। स्थिति ये बनी हुई है कि छात्रों के अभाव के चलते भवन का प्रयोग ग्रामीण पुस्तकालय के रूप में किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले एक रिपोर्ट आई जिसमे पता चला की क्षे में कई स्कूल ऐसे है जहा पर केवल दो स्कूल तथा तीन शिक्षकों का मामला सामने आया था। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद शिक्षा व्यवस्था में खलबली मच गई थी। उसके बाद अधिकारी हरकत में आए और आनन फानन में ऐसे स्कूलों को बंद करने की घोषणा कर दी गई थी। हालांकि सरकारी स्कूलों की बदहाली का एक कारण यह भी है कि
क्षेत्र में बहुतायत में निजी विद्यालय खुल जाना जिस कारण अभिवावक अपने बच्चों को प्राथमिक सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते है साथ ही सरकारी स्कूलों कि शिक्षा की गुणवक्ता पर भी लगातार सवाल उठते रहे है हालांकि सरकार लगातार दावा करती रही है कि वह सरकारी स्कूलों द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार प्रयासरत है। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल का बंद होना शिक्षा की हानि है । स्कूलों का ही नही विवि का भी यही हाल है विवि में स्टाफ ना होने के कारण हजारों छात्रों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। स्टाफ की कमी से ना तो विवि की परीक्षाएं समय पर हो पाती हैंए और ना ही रिजल्ट समय पर आता है। पहाड़ में उच्च शिक्षा के लिए युवाओं को महानगरों की ओर रूख करना पड़ता है। जिससे पहाड़ में बड़े पैमाने पर पलायन भी हुआ इसलिए सरकार को ऐसे इन्फ्रास्टेक्चर तैयार करे जिससे पहाड़ के युवाओं को अपने ही क्षेत्र में क्चालिटी एजुकेशन तो मिले साथ ही रोजगार के अवसर भी सृजित हो। ये तो हुई पहाडी की शिक्षा की स्थिति अब बात करते है अब बात करते है मैदानी क्षे में उत्तराखंड की क्या स्थिति है। पहाड़ों पर शिक्षा के हाल बुरे हैं ही लेकिन मैदानी इलाकों के हाल भी ज्यादा ठीक नहीं हैं गढ़वाल मंडल के पहाड़ी जिलों के अलावा देहरादून हरिद्वार में कई प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। साथ ही यहां भी सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता हर बार सवाल सवालों के घेरे में रहती है। स्कूलों की इस स्थिति के चलते पहाड़ों से पलायन हो रहा है या फिर पलायन के चलते स्कूलों की ये स्थित हो रही है यह सवाल हमेशा उढता रहता है। खैर ये दोनों बातें एक सी लगती है।
लेकिन सावल ये है कि अगर सरकारी स्कूलों पर अगर ध्यान नहीं दिया गया साथ सरकारी शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में इनकी स्थिति और भयावा हो सकती है।

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