कठिन परिश्रम के बूते स्वयं को अपने.अपने क्षेत्रों में सिद्ध करें

श्रीनगर । पर्यावरण में हिमालय के योगदान और मानवजाति के कल्याण में हिमालय के महत्त्व को रेखांकित करते हुए डॉ निशंक ने पीजी और पीएचडी कर चुके छात्रों का आह्वान किया कि कठिन परिश्रम के बूते स्वयं को अपने.अपने क्षेत्रों में सिद्ध करें। क्योंकि आप लोगों के सामने असली चुनौतियां और सवाल अब खड़े हैं। जिस प्रकार गंगा उत्तराखंड से निकलकर करोड़ों लोगों के पाप धोते हुए गंगा सागर में मिल जाती है। उसकी प्रकार आप लोग इस धरती से निकलकर देश.दुनिया के दुःख हरने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाएं। उन्होंने कहा कि हिमालयी विश्वविद्यालयों को हिमालय पर केंद्रित शोध को प्राथमिकता देकर इसका उपयोग पूरी मानव जाति के कल्याण के लिए करना होगा। हिमालय में जैवविविधता है। यह जड़ी.बूटियों का उत्पादक है। यहां नाना प्रकार की वनस्पति हैए यह पर्यावरण की पहली पाठशाला है। यह संपदाओं का खजाना है। इसकी अद्भुत संरचना है। इस पर बहुत अध्ययन और शोध की आवश्यकता है। हिमालय पलायन रोकने में कारगर साबित हो सकता है। हिमालय उत्तराखंड के लिए ही हितकारी नहींए पूरे भारत और विश्व के लिए कल्याणकारी है।

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