न्यायमूर्ति डाॅ. . चन्द्रचूड़ व डाॅ. सौमित्र रावत को मानद उपाधि
नैनीताल। डीएसबी कैम्पस में कुमाऊॅ विश्वविद्यालय के 16वे भव्य दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल व कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने 62 मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डाॅ. डी.वाई.चन्द्रचूड़, पद्मश्री डाॅ.सौमित्र रावत को मानद उपाधि दी गई। समारोह में सावित्री केड़ा जंतवाल को डी.लिट की उपाधि भी प्रदान की गयी। आयोजित समारोह में 38483 विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में उपाधियाॅ भी महामहिम द्वारा दी गई। दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों के लिए गौरवशाली अवसर है। जिन छात्र-छात्राओं को उपाधियाॅ व पदक प्राप्त हुए हैं, उन्हें विशेष रूप से बधाई व शुभकामनाऐ देते हुए सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कुलाधिपति ने कहा कि शिक्षा एक दीर्घ कालिक प्रक्रिया है। जीवन में निरन्तर नवीन ज्ञान की खोज करते रहना हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुमाऊॅ विश्वविद्यालय ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है, यह गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को अपना समस्त ध्यान पाठ्क्रमों एवं शोध कार्यों में केन्द्रित करना चाहिए। आज हमारा देश विश्व की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 5 खरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। बदलती स्थितियों के अनुरूप हमारे शोध कार्य एवं पाठ्क्रम होने चाहिए जो देश के अर्थ व्यवस्था एवं सामाजिक समृद्धि में अपना योगदान देने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के पाठ्क्रमों को सार्वजनिक नीतियों, राजगारपरक के साथ-साथ उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप डिजाइन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यहप्रसन्नता का विषय है कि विश्वविद्यालय ऐंसे पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने जा रहा है जो शिक्षार्थियों का कौशल विकास कर, उन्हें राजगार दिलाने में भी सहायक सिद्ध होंगे। राज्यपाल ने कहा विश्वविद्यालयों में नवाचार के प्रति सकारात्मक रूख होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने भी कहा था कि ’’ कल्पना शक्ति ज्ञान से महत्वपूर्ण होती है’’ इसलिए हमारे सभी पाठ्क्रम, शोाध कार्य और शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रम नवाचार पर केन्द्रित हों। उन्होंने कहा कि हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों को परीक्षा केन्द्रित होने के स्थान पर ज्ञान व समझ केन्द्रित होना होगा। पारम्परिक शिक्षण प्रणालियों से आगे बढ़ते हुए आधुनिक सूचना-संचार-टेक्नोलोजी का अधिकतम प्रयोग करने हेतु प्रोत्साहित करना होगा तभी हमारे विश्वविद्यालय अन्तराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों का मुकाबला कर पायेंगे और अपने आप को उत्कृष्टता के केन्द्र के रूप में स्थापित करने में सफल होंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जो ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं, उसका वास्तविक उपयोग समाज के कल्याण, गरीबों की खुशहाली, सीमान्त गाॅवों की समृद्धि में उपयोग कर समाज के अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के कल्याण के लिए करना होगा
मानद उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डाॅ.डीवाई चन्द्रचूढ़ ने मानद उपाधि देने के लिए कुलाधिपति व विश्वविद्यालय परिवार को धन्यवाद दिया। उन्होंने सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में अनेकता में एकता है, यहाॅ धर्म, सम्प्रदाय, भाषा एवं शैली, वेषभूषा आदि अलग-अलग होने के बाद भी एकता है, यही हमारी शक्ति है।