नेतृत्व परिवर्तन को लेकर फिर कयासों का बाजार गर्म

देहरादून। मुख्यमंत्री के अचानक दिल्ली जाने से एक बार फिर से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। माना जा रहा है कि पाँच राज्य में हो रहे विस चुनाव के मंथन को लेकर 9 मार्च को नई दिल्ली में भाजपा हाई कमान की बैठक है, इसलिए मुख्यमंत्री दिल्ली गए हैं।  नेतृत्व परिवर्तन होगा या नहीं अभी भविष्य की गर्त में है। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने विगत दिनों बजट सत्र के दौरान बीच मे ही अचानक रमन सिंह और बीजेपी महासचिव दुष्यंत गौतम को ऑब्जर्वर के रूप में उत्तराखंड भेजा था, जिसके बाद विधान सभा का बजट सत्र  अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था और आनन फानन में कोर कमेटी की बैठक हुई थी।  कोर कमेटी की बैठक के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने नेतृत्व परिवर्तन पर यह कह कर विराम लगा दिया था कि राज्य में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं हो रहा, न ही कोर कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को लेकर कोई चर्चा हुई। भगत ने बताया था कि कोर कमेटी की बैठक में 18 मार्च को त्रिवेन्द्र सरकार के 4 साल पूरे होने पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को लेकर ही चर्चा हुई। उसी दिन से ही उत्तराखण्ड में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा तैैर रही है। सूत्रों के अनुसार  दिल्ली के बैठक के बाद एक-दो दिनों के भीतर ही विधानमंडल की बैैैठक होने की संभावना जताई जा रही है।यदि सीएम त्रिवेंद्र रावत को  अभयदान मिलता है तो वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। साथ ही उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल का विस्तार करना होगा। अपने पास के महत्वपूर्ण विभागों को नए मंत्रियों को बांटना होगा। वहीं यदि उन्हें हटाया जाता है तो उन्हें केंद्र में भेजा जा सकता है। इसके साथ ही उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री पद के लिए  राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का नाम सबसे ऊपर है।   यदि वे राज्य की राजनीति में आते हैं तो उन्हें सल्ट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। ऐसे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को बदला जाना भी तय है। इसके साथ  ही सतपाल महाराज निशंक, भट्ट के नाम को लेकर चर्चा हो रही है।  राज्य के सत्ता में क्या होगा, इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है।

 

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