नई दिल्ली। कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया में बढ़ता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने चेतावनी दी है कि इससे दुनिया भर में करीब 2.5 करोड़ लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वित नीतिगत कार्रवाई के जरिए वैश्विक बेरोजगारी पर कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि दुनिया भर में कोरोना की महामारी 2.5 करोड़ लोगों का रोजगार छीन लेगी। यह पहले से जारी वैश्विक आर्थिक संकट में कोढ़ में खाज की तरह साबित होगी। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.6 लाख करोड़ डॉलर का झटका लगेगा। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि इससे आर्थिक और श्रम संकट गहराएगा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी एक अध्ययन में कहा है कि वैश्विक स्तर पर एक समन्वित नीति बनती है तो नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। चीन में जनवरी-फरवरी माह में 50 लाख लोगों ने कोरोना के आर्थिक दुष्प्रभाव के चलते नौकरी गंवा दी।वुहान, शंघाई समेत तमाम शहरों में कामबंदी और व्यापारिक गतिविधियां ठप हो जाने से यह नुकसान हुआ। चीन में बेरोजगारी दर भी जनवरी में 5.3 फीसदी के मुकाबले फरवरी में 6.2 फीसदी हो गई है। इसका असर चीन की विकास दर पर भी दिख सकता है। हालांकि राहत की बात है कि मार्च की शुरुआत से चीन के 60 फीसदी लघु मझोले उद्योगों ने फिर से काम करना शुरू कर दिया है। संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस का अभी तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर नहीं पड़ा है, लेकिन निर्यात क्षेत्र को आहट महसूस होने लगी है। कई खरीदारों ने अगले निर्देश तक निर्यात ऑर्डरों की डिलिवरी रोकने के लिए कहा है। फियो ने इस बारे में सरकार से दखल की मांग की है। उनकी मांग है कि सरकार को बैंकों से निर्यात कंपनियों के ऋण को फंसा कर्ज घोषित करने की अवधि को बढ़ाकर एक साल करने के लिए कहना चाहिए।