हवा साबित हुई प्राधिकरण खत्म करने की घोषणा

देहरादून। तीरथ सिंह रावत ने राज्य की बागडोर सम्भालते ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा बनाए गए प्राधिकरण को खत्म करने की जो घोषणा की थी, वह हवाहवाई हो गई है। मुख्यमंत्री के इस फैसले पर शहरी विकास मंत्री की ना से सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है और एक और चर्चा को जन्म दे दिया है कि जब  प्राधिकरण ने खत्म ही नहीं होना  था, हवाई घोषणा क्यों की गई। अब लोग अचरज में है कि किसकी बात को सही माने, मुख्यमंत्री की या फिर शहरी विकास मंत्री की। शहरी विकास मंत्री के फैसले से मुख्यमंत्री की घोषणा पहाड़ नहीं चढ़ पाई । घोषणा सिर्फ हवा में तैरती रह गई।  राज्य की कमान सम्भालते ही मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेन्द्र सरकार के फैसले को पलटते हुए प्राधिकरण को खत्म करने की बात कही थी, लेकिन विगत दिनों हुई शहरी विकास मंत्री की बैठक में विभागीय मंत्री और अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण को खत्म नहीं किया जाएगा, बल्कि प्राधिकरण के कुछ जटिल प्रक्रिया  को सरल किया जाएगा। लेकिन इस फैसले पर तीरथ सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है। राज्य के अलग-अलग प्राधिकरण को लेकर अब खबरें आ रही हैं कि प्राधिकरण खत्म नहीं किए जाएंगे, केवल उनमे कुछ संशोधन किए जाएंगे। शुक्रवार को विधानसभा में हुई शहरी विकास की बैठक के बाद विभागीय मंत्री बंशीधर भगत ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरणों को खत्म नहीं किया जाएगा, बल्कि जटिल प्रक्रिया को सरल किया जाएगा। इसके अलावा शहरी विकास सचिव शैलेश बगौली ने इस बात को और पुख्ता किया कि प्राधिकरण खत्म नहीं किए जाएंगे, केवल उनकी कुछ कार्य प्रणालियां बदली जाएंगी। विभागीय सचिव शैलेश बगौली ने स्पष्ट किया कि साल 2016 के परिसीमन के बाद जो क्षेत्र प्राधिकरण में जुड़ा था, उन क्षेत्रों में नक्शा पास करने को लेकर छूट दी गई है या नहीं उन क्षेत्रों में निर्माण के लिए प्राधिकरण से नक्शा पास करवाने की बाध्यता नहीं रहेगी। अन्यत्र प्राधिकरण का जो कार्य हैं वह पूर्व की तरह चलता रहेगा और प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र भी बरकरार रहेंगे।

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