अफवाहों से चौपट हुआ पॉल्ट्री व्यवसाय

देहरादून। कोरोना वायरस की वजह से फैलाई जा रही फेक न्यूज के चलते पोलट्री प्रोडक्ट से जुड़ देश के करीब 50 लाख लोगों की रोजी रोटी पर संकट के बादल मंडराने लगा है। कोरोना के चलते देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले पाल्ट्री प्रोडक्ट मुश्किलो  केे दोर से गुजर रहा है और पाल्ट्री यानि मुर्गी पालन के कारोबार में लगे लोग संकट में आ गए है। पाल्ट्री प्रोडक्ट से कोरोना वायरस का संक्रमण होने की फेक न्यूज सोशल मीडिया पर फैलाई गई तो अचानक  चिकेेन की  मांग घट गई और दाम गिर गए और देश के कई हिस्सों में मुर्गी पालक इसके बाद  संकट ने आ गए  और सस्ते  दर से मुर्गियां बेचने को मजबूर हो गए ।
इस गिरावट की वजह से उन तमाम लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है जो इस रोजगार से  से जुड़े थे।  मुर्गी पालन से ग्रामीण इलाकों में रोजगार भी पैदा हुआ था। भारतीय पाल्ट्री सेक्टर की वैल्यू करीब 80,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 80 फीसदी संगठित क्षेत्र में है। असंगठित क्षेत्र में वो मुर्गीपालन आता है जिसमें पालक अपने घरों में मुर्गियां पालते हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना में सबसे अधिक पालट्री फार्म हैं। कोरोना वायरस की वजह से कीमतों में गिरावट आई है जिसकी वजह से इस कारोबार में लगे   लोगों  का रोजगार खतरे में पड़ गया है। कईयों ने    बैंक से मुर्गीपालन के लिए कर्ज ले रखा है।   काम           चोटप होने ने उन्हें लोन चुकाने में  अब मुश्किल होगी। कई जगह से  रिपोर्ट आई हैं कि किसान पालट्री में मुर्गों को जिंदा दफना रहे हैं।
जब कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी पकड़ रहा है, केंद्र और राज्य सरकारेेे   जनता को  इस बात की जानकारी दे कि कोरोना वायरस का पाल्ट्री इंडस्ट्री से कोई लेना देना नही हैै,न वैज्ञानिक सबूत  मिले है।  तभी यह वयवसाय दोबारा गति पकड़  पायेगा ।

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