सिद्धबली स्टोन क्रेशर के संचालन पर रोक
जनमंच टुडे। नैनीताल। उत्तराखण्ड हाइकोर्ट ने कोटद्वार में माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ संचालित सिद्धबली स्टोन क्रेशर को हटाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की । न्यायालय ने स्टोन क्रशर के संचालन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने स्टोन क्रशर के संचालन पर तत्काल प्रभाव से ये रोक लगाई है। कोर्ट ने नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड को निर्देश दिए है कि वह इसका निरीक्षण करें और तीन माह के भीतर निर्णय लें कि इको सेंसटिव जोन में स्टोन क्रेशर लग सकता है या नहीं । राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने आपत्ति पेश करते हुए कहा कि राज्य सरकार स्टोन क्रशर के लाइसेंस देते समय उनकी सहमति नहीं लेती है, जिस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पॉल्यूशन रोकने की एक बॉडी है जिसकी सहमति लेनी आवश्यक है। मामले के अनुसार कोटद्वार निवासी देवेंद्र सिंह अधिकारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि कोटद्वार में राजाजी नेशनल के रिजर्व फारेस्ट में सिद्धबली स्टोन क्रेशर लगाया गया है। यह स्टोन क्रशर सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी गाइड लाइनों के मानकों को पूरा नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइड लाइन में कहा था कि कोई भी स्टोन क्रेशर नेशनल पार्को के 10 किलोमीटर एरियल डिस्टेंस के भीतर स्थापित नहीं किया जा सकता जबकि यह स्टोन क्रेशर साढ़े छह किलोमीटर की दूरी पर संचालित है। पूर्व में सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था कि यह स्टोन क्रेशर सड़क से 13 किलोमीटर दूर है, जिस पर याचिकर्ता के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कोर्ट को बताया था कि दूरी मापने के लिए एरियल डिस्टेंस है न कि सड़क से। अधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने इसे सड़क मार्ग से मापा है जो गलत है। सिद्धबली स्टोन क्रेशर पीसीबी के मानकों को भी पूरा नहीं करता है। यहां स्टोन क्रेशर स्थापित होने से क्षेत्र के साथ ही वन्यजीव भी प्रभावित हो रहे हैं। लिहाजा इसको हटाया जाए या इसके संचालन पर रोक लगाई जाये।