खनन माफिया चीर रहे ‘मधुगंगा’ का सीना
- लक्ष्मण सिंह नेगी।
जनमंच टुडे। ऊखीमठ। मदमहेश्वर घाटी के मध्य बहने वाली मधुगंगा के जुगासू में लगातार अवैध खनन होने से नदी के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। खनन माफिया दिन – दहाड़े मधुगंगा में अवैध खनन कर चांदी कांट रहे हैं जिससे प्रदेश सरकार को प्रति माह लाखों का नुकसान हो रहा है, इसके बावजूद प्रशासन खनन माफिया पर कार्रवाई नहीं कर रही है, जिस कारण इनके हौसले बुंलद है।पूर्व में प्रदेश सरकार ने कुछ लोगों को नाप भूमि पर खनन की अनुमति दी थी, इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलने के साथ ही प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को लाखों का राजस्व प्राप्त हो रहा था, मगर निजी खनन पट्टों की अवधि समाप्त होते ही यहां खनन माफिया सक्रिय हो गए और रात – दिन मधुगंगा के सीने को छलनी कर लाखों रुपये अपनी तिजोरी में भर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मधुगंगा में बेखौफ हो रहे अवैध खनन से जलीय जंतुओं पर संकट मंडराने लगा है। उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत कई बार स्थानीय प्रशासन से की गयी , मगर खनन माफिया व स्थानीय प्रशासन के बीच गठजोड़ से खनन माफिया पर कभी कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। बता दे कि मदमहेश्वर घाटी में खनन के खेल के पीछे खनन माफिया व स्थानीय प्रशासन का दशकों पूर्व का चोली दामन का साथ रहा है, इसलिए खनन माफिया दिन – दहाड़े बेखौफ होकर मधुगंगा में खनन करते हैं। रात्रि के समय स्थानीय प्रशासन की सह पर अवैध खनन की सामाग्री को वाहनों के माध्यम से ठिकाने लगाया जाता है । ग्रामीणों का कहना है कि मधुगंगा में अवैध खनन लगातार जारी रहने से जलीय जीवों पर संकट मंडरा रहा है । नाम न छापने की शर्त पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मधुगंगा में हो रहे अवैध खनन की शिकायत समय – समय पर स्थानीय प्रशासन से की जाती है, मगर गठजोड़ के चलते स्थानीय प्रशासन अवैध खनन करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं करता। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के पूर्व अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन पूर्व की भांति निजी भूमि पर खनन पट्टे संचालित करने की अनुमति देता है तो मधुगंगा में हो रहे अवैध खनन पर रोक लगने के साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त होने के साथ ही प्रदेश सरकार व जिला प्रशासन को प्रति माह लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त हो सकता है। मधुगंगा में हो रहे अवैध खनन पर स्थानीय प्रशासन कब अंकुश लगायेगा यह भविष्य के गर्भ में है।