महिलाओं ने उत्तराखंड की संस्कृति को मजबूत बनाया : राष्ट्रपति
जनमंच टुडे।देहरादून। प्रदेशभर में राज्य स्थापना धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर खेलकूद प्रतियोगिता सहित कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश वासियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने देहरादून के कचहरी स्थित शहीद स्थल पर जाकर शहीद राज्यान्दोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। मुख्य कार्यक्रम देहरादून पुलिस लाइन में आयोजित किए गए। इस दौरान मुख्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदेशवासियों को राज्य स्थापना की बधाई दी और राज्य के लिए अपनी प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को नमन किया। राज्य स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अपनी अलग पहचान स्थापित करने और अपने विकास का रास्ता तय करने का उत्तराखंडवासियों का सपना आज ही के दिन पूरा हुआ था। उन्होंने कहा कि आज नई पहचान के साथ उत्तराखंड के परिश्रमी लोगों ने राज्य के लिए विकास और प्रगति के नित-नूतन शिखरों पर अपने कदम जमाए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद-स्वरूप देवालयों से पवित्र उत्तराखंड को ‘देव-भूमि’ कहने की परंपरा वंदनीय है। साथ ही, पर्वतराज हिमालय की पुत्री देवी पार्वती एवं शक्ति के अन्य पूजनीय स्वरूपों से ऊर्जा प्राप्त करने वाली व गंगा-यमुना जैसी नदी-माताओं के स्नेह से सिंचित यह पावन धरती ‘देवी-भूमि’ भी है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र ‘जय महा-काली’ और ‘जय बदरी-विशाल’ के पवित्र उद्घोष से गुंजायमान रहता है। हेमकुंड साहिब और नानकमत्ता से निकले गुरबानी के स्वर यहां के वातावरण को पावन बनाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में मुझे उत्तराखंड की यात्रा करने का सुअवसर मिला था। उत्तराखंड में आने का प्रत्येक अवसर तीर्थ-यात्रा का पुण्य प्राप्त करने की तरह होता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तराखंड की अलग पहचान और स्थापना के लिए संघर्ष करने वाली स्वर्गीय सुशीला बलूनी को याद किया। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी निवासी तो उन्हें याद रखेंगे ही, नारी में संघर्ष की शक्ति के उदाहरण के रूप में उन्हें सभी देशवासी सदैव स्मरण करेंगे। उन्होंने कहा कि सुशीला बलूनी का अदम्य साहस यहां की महिलाओं की गौरवशाली परंपरा के अनुरूप था। बिशनी देवी शाह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अपने असाधारण साहस का परिचय दिया था। उन्होंने कहा कि माउंट एवरेस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाली प्रथम महिला बछेन्द्री पाल और पेड़ों को बचाने के लिए संघर्ष करने वाली गौरा देवी जैसी उत्तराखंड की महिलाओं ने पूरे देश के लिए आदर्श प्रस्तुत किए हैं। हाल ही में उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसी महिलाओं ने उत्तराखंड की संस्कृति को मजबूत बनाया है।