शीतकाल के लिए बन्द हुए बदरीनाथ के कपाट
जनमंच टुडे। बदरीनाथ। बदरीनाथ धाम के कपाट आज से शीतकाल के लिए बन्द कर दिए गए हैं। इस दौरान साढ़े पांच हजार श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। इस अवसर पर गढ़वाल स्काउट के बैंड के मधुर धुनों से धाम गुंजायमान रहा। कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में आज अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। आप्रातः महाभिषेक के बाद बद्रीविशाल को भोग लगाया गया। राजभोग लगने के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खुला रखा गया। दोपहर एक बजे सायंकालीन पूजा अर्चना शुरू हुई। इसके बाद 1 बजकर 45 मिनट पर रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री रूप धारण कर माता लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान किया। इससे पहले उद्धव और कुबेर के विग्रह स्वरूपों को मंदिर प्रांगण में विराजमान किया गया। मंदिर के कपाट बंद होने की परंपराएं पूरी होने के बाद माणा महिलाओं द्वारा बुने गये ऊन के घृत कंबल को भगवान बदरी विशाल को ओढा़या गया। इसके बाद मंदिर के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह और सिंह द्वार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।