उत्तरकाशी का प्रसिद्ध माघ मेला शुरू
जनमंच टुडे। उत्तरकाशी। उत्तरकाशी का प्रसिद्ध माघ मेला आज से प्रारंभ हो गया है। पारंपरिक रूप से ‘बाड़ाहाट का थौलू‘ नाम से आयोजित होने वाले इस मेले के मौजूदा आयोजन का शुभारंभ कंडार देवता एवं हरि महाराज सहित अन्य लोक देवी-देवताओं की डोलियों एवं प्रतीकों के सानिध्य में गंगोत्री क्षेत्र के विधायक सुरेश चौहान ने किया। माघ मेले के शुभारंभ पर विश्वनाथ मंदिर से जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण की आगवानी में गंगा-यमुना कलश शोभायात्रा निकाली गई। इस अवसर पर बाड़ाहाट पट्टी के अधिपति कंडार देवता की डोली, बाड़ागड्डी पट्टी के आराध्य देव हरि महाराज के ढोल व डोली के साथ ही खंडद्वारी देवी, नागणी देवी, राज-राजेश्वरी देवी, नागराजा देवता सहित अनेक लोक देवताओं की डोलियों व प्रतीकों ने गंगा-स्नान करने के बाद नगर के प्रमुख मंदिरों का भ्रमण करने के बाद रामलीला मैदान में माघ मेले के उद्घाटन समारोह में भाग लिया। रामलीला मैदान में देवडोलियों व मेलार्थियों के पारंपरिक नृत्यों के साथ ही पौराणिक माघ मेला का विधिवत उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि गंगोत्री क्षेत्र के विधायक सुरेश चौहान ने कहा कि पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व का माघ मेला (बाड़ाहाट का थौलू) हमारी सांस्कृतिक एवं धार्मिक विरासत का प्रतीक है। उन्होंने माघ मेले के पारंपरिक स्वरूप और सांस्कृतिक आयामों को संरक्षित रखने पर जोर देते हुए कहा कि इसके लिए सभी लोगों को मिलजुल कर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में जिले में तेजी से विकास के काम हो रहे हैं। सड़कों और स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ किया जा रहा है। दूर-दराज के क्षेत्रों तक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए उल्लेखनीय काम हो रहे हैं। आम लोगों को सरकार के इन प्रयासों का पूरा लाभ उठाना चाहिए और विकास के कामों में एकजुट हो सहयोग करना चाहिए। उन्होंने आगामी 22 जनवरी को राम मंदिर में मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर जनपदवासियों से दीप प्रज्जवलित अपने हर्ष और उल्लास को अभिव्यक्त करने का आह्वान करते हुए कहा कि राम मंदिर बनने के आम लोगों की उत्कट आकांक्षा अब पूर्ण होने जा रही है। माघ मेला के उद्घाटन के अवसर पर गोस्वामी गणेश दत्त विद्या मंदिर तथा ऋषिराम शिक्षण संस्थान की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। साथ ही संग्राली गांव के महिलाओं ने पारंपरिक तांदी-रासो नृत्य प्रस्तुत कर लोक संस्कृति की छटा बिखेरी।