दहकते जंगल, खतरे में जीवजन्तु
ऊखीमठ। केदार घाटी में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से क्षेत्र के अधिकांश जंगल भीषण आग की चपेट में आ गये है। विगत दो दिनों से विभिन्न क्षेत्रों के जंगलों में भीषण आग लगने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा हो गयी है। विभिन्न क्षेत्रों के जंगलों में कैसे आग लग रही है इसका पता वन विभाग तक नहीं लगा पाया। यदि समय रहते जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू नहीं पाया गया तो क्षेत्र के अन्य जंगल भी भीषण आग की चपेट में आ सकते है तथा वन्य जीव जन्तुओं के जीवन पर संकट के बादल मंडरा सकते है। बता दे कि केदार घाटी के जंगल विगत कई दिनों से भीषण आग की चपेट में आ गये थे, मगर 5 व 6 जनवरी को हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी होने तथा निचले क्षेत्रों में बारिश होने से जंगलों में लगी आग स्वयं ही समाप्त हो गयी थी तथा वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को कुछ राहत मिली थी। केदार घाटी में मौसम साफ होते ही विभिन्न क्षेत्रों के जंगल एक बार फिर भीषण आग की चपेट में आ गये है! वन विभाग व ग्रामीणों द्वारा जंगलों में लगी भीषण आग पर काबू पाने के प्रयास तो किये जा रहे है मगर आग का भयानक रूप लेने से आग पर काबू पाना मुश्किल लग रहा है। केदार घाटी के जंगलों में भीषण आग लगने से लाखों की वन सम्पदा स्वाहा होने के साथ ही वन्य जीव जन्तुओं के जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लग गये है! जंगलों में आग लगने के कारणों का पता अभी तक वन विभाग नहीं लगा पाया है! मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण मौसम के अनुकूल बारिश न होना है। जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट का कहना है कि जंगलों में लगी आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग व ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास होने चाहिए अन्यथा यदि जंगलों में लगी आग विकराल रूप धारण करती है तो क्षेत्र के अन्त जंगल भी भीषण आग की चपेट में आ सकते है।
लक्ष्मण सिंह नेगी, वरिष्ठ पत्रकार, ऊखीमठ।
