रूठे बदरा, सूखी जमीन

ऊखीमठ। केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों के चेहरे पर मायूसी बनी हुई है, जनवरी माह में बर्फबारी से लदक रहने क्षेत्रों में धूल भरा सफर तय करना पड़ रहा है। सीमान्त क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से राई व पालक के उत्पादन पर खासा असर पड़ा है जबकि गेहूँ, जौ, मटर के उत्पादन पर भी गिरावट आने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से फ्यूली व बुंरास के फूल व सरसों की फसल निर्धारित समय से पहले अपने खिल चुके हैं। आने वाले दिनों में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो गर्मियों में भारी पेयजल संकट गहरा सकता है।  हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से हिमालय बर्फ विहीन होता जा रहा है।  आज से लगभग एक दशक पूर्व की बात करे तो केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में दिसम्बर व जनवरी माह में जमकर बर्फबारी होती थी। विगत वर्ष की बात करे तो बर्फबारी ने विगत 46 वर्षों का रिकार्ड तोडा था, मगर इस बार 6 जनवरी तक मात्र चार बार बर्फबारी होने से हिमालय बर्फ विहीन होता जा रहा है।

बर्फबारी का आनन्द लेने पर्यटक तुंगनाथ घाटी तो पहूंच रहे है मगर जनवरी माह में बर्फबारी न होने से उन्हें निराश लौटना पड रहा है। इस बार मौसम के अनुकूल बारिश न होने से सीमान्त गांवों में राई व पालक की फसल  प्रभावित हुई है। फ्यूली, बुंरास के पुष्प व सरसों की फसल समय से पहले खिल चुके है। आने वाले समय में यदि मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट आने से गर्मियों में पेयजल संकट गहराने से दो बूंद पानी के लिए हाहाकार मच सकता है।  गडगू गाँव की काश्तकार शान्ता देवी ने बताया कि इस बार मौसम के अनुकूल बारिश न होने से साग – भाजी की फसल खासी प्रभावित हुई है।

 

लक्ष्मण सिंह नेगी, वरिष्ठ पत्रकार उखीमठ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *