खतरे की जद में बुरूवा गांव

 

लक्षण सिंह नेगी

ऊखीमठ।

ऊखीमठ । 18 अगस्त 1998 को मदमहेश्वर घाटी में हुए भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आये बुरूवा गाँव के 16 परिवारों को आज पी एम जी एस वाई के अधिकारियों की लापरवाही के कारण खतरा बना हुआ है : विरोली – बुरूवा निर्माणाधीन मोटर मार्ग पर सुरक्षा दीवालों के निर्माण में भारी अनिमिताये बरती जाने से कई स्थानों पर सुरक्षा दीवालों के धराशायी होने से गाँव के 16 परिवारों को खतरा बना हुआ है जिससे आसमान से एक बूंद पानी की बरसते ही ग्रमीणो की रातों की नींद हराम हो जाती है : यदि समय रहते निर्माणाधीन मोटर मार्ग के ऊपरी हिस्सों में गुणवत्ता के साथ सुरक्षा दीवालों का निर्माण नहीं किया जाता तो गाँव के 56 परिवारों पर प्रकृति का कहर कभी भी बरस सकता है : मिली जानकारी के अनुसार 18 अगस्त 1998 को मदमहेश्वर घाटी के विभिन्न क्षेत्रों में हुए भूस्खलन होने से बुरुवा गाँव खतरे की जद में आ गया था : विगत वर्ष जुलाई माह में गाँव को यातायात से जोड़ने के उद्देश्य से पी एम जी एस वाई द्वारा तीन किमी विरोली – बुरुवा मोटर मार्ग का निर्माण कार्य शुरू तो किया गया मगर लम्बा समय व्यतीत होने के बावजूद भी मोटर मार्ग का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है ! विभाग द्वारा मोटर मार्ग के कुछ हिस्सों में सुरक्षा दीवालों का निर्माण तो किया गया मगर सुरक्षा दीवालों के निर्माण कार्य में गुणवत्ता न होने से सुरक्षा दीवाले धराशायी हो गयी है जिससे ग्रमीण शिव भगत सिंह, कलम सिंह धिरवाण,मदन सिंह, धमेन्द्र सिंह, उमेद सिंह, कलम सिंह चौहान कुवर सिंह सहित गाँव के 16 परिवार को खतरा बना हुआ है : ग्रमीणो का कहना है कि 23 अप्रैल को पी एम जी एस वाई विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया था मगर आज तक विभागीय अधिकारी ने क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवालों के जायजा लेने नहीं पहुंचे है : मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि मदमहेश्वर घाटी में दोपहर बाद हमेशा बारिश हो रही है जिससेे ग्रमीणो की चिन्ताये बढ़ती जा रही है : उन्होंने बताया कि यदि बरसात से पूर्व क्षतिग्रस्त सुरक्षा दीवालों की मरोम्मत नहीं की गयी तो गांव के 56 परिवारों को खतरा हो सकता है : वही दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों से सम्पर्क करना चाहा मगर सम्पर्क नहीं हो पाया ।

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