स्वयं से होती है विकास की शुरूआत : डॉ बिष्ट
जनमंच टुडे/देहरादून। सतपुली। महाराजा अग्रसेन हिमालय गढ़वाल विश्वविद्यालय ब्लॉक पोखड़ा पौड़ी गढ़वाल में “विकसित भारत 2047 नेवीगेशन होरिजोंस इन हायर एजुकेशन एक्सीलेंस” पर दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का उदघाटन सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति प्रोफेसर डॉ सतपाल सिंह बिष्ट ने किया। इस दौरान बिष्ट ने कहा कि विकास की शुरूआत स्वयं से होती है। उन्होंने कहा कि कोई भी अन्य व्यक्ति किसी और का विकास नहीं कर सकता । बिष्ट ने कहा कि यदि व्यक्ति खुश रहने के उद्देश्य से कार्य शुरु करता है । उसे देख कर अन्य लोग भी देखा देखी में उसका अनुशरण कर देश के विकास में अपनी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। महाराज अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन के सिंहा ने विश्व इतिहास के परिपेक्ष में नई शिक्षा नीति की प्रासंगिकता और विकसित भारत 2047 की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश के सभी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय यूजी प्रोग्राम शुरू हो रहा है। वहीं, छात्रों को कोर एरिया की डिग्री के साथ अपने मनपसंद विषयों को चुनने की आजादी मिलेगी। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में फार्मेसी की डीन प्रो. पूनम ऋषिवर ने कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिव कुमार गुप्ता ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि कुमाऊं विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल साइंस के डीन व परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर महेंद्र राणा ने कहा कि नई शिक्षा नीति उत्तराखंड को विकसित करने में मददगार साबित होगा। उन्होंने भारतीय दर्शन, स्थानीय पादपों के संरक्षण एवं खेती की संभावनाओं पर भी अपने विचार प्रकट किए। दुबई से नम्रता प्रसाद, वॉशिंगटन (डीसी) से डॉक्टर दया शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने विचार रखें। द्वितीय दिवस में प्रतिभागियों ने शोध कार्य के माध्यम से विकसित भारत पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मिशिगन, अमेरिका से डॉ लावण्य ऋषिवर ने भारत और अमेरिका की शिक्षा पद्धति और जरूरी बदलाव की आवश्यकता के बारे में विस्तार से चर्चा की। समापन सत्र में डॉक्टर जीडी शर्मा ने भारतीय सभ्यता और विरासत की प्रचुरता पर प्रकाश डालते हुए सभी से भारत को पुनः विकसित करने का मार्ग बताया। इस अवसर पर कुलपति डॉ. संजय दास, प्रो. पी के डे कुलसचिव, संयोजन सचिव डॉ. कोविद कुमार, डॉ घनश्याम मिश्रा, समस्त संकायाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक एस पी दीक्षित, शैक्षणिक स्टाफ समेत प्रतिभागी एवं छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर कोविद कुमार ने किया।